बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती (Mayawati) ने उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के विलय (Merger of Primary Schools) को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने इस कदम को गरीबों के बच्चों के हितों के खिलाफ बताते हुए इसे अनुचित, अनावश्यक और गरीब विरोधी करार दिया। मायावती ने एक्स के माध्यम से सरकार से इस फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि स्कूलों के युग्मन की आड़ में बड़ी संख्या में शैक्षणिक संस्थानों को बंद किया जा रहा है, जिससे गांव और छोटे इलाकों में रहने वाले गरीब बच्चों को नजदीक में पढ़ाई की सुविधा से वंचित किया जा रहा है।
बेसिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के युग्मन/एकीकरण की आड़ में बहुत सारे स्कूलों को बंद करने वाला जो फैसला लिया गया है, वह ग़रीबों के करोड़ों बच्चों को उनके घर के पास दी जाने वाली सुगम व सस्ती सरकारी शिक्षा व्यवस्था के प्रति न्याय नहीं, बल्कि पहली…
— Mayawati (@Mayawati) July 2, 2025
]बसपा सरकार बनी तो पलटेगा फैसला
मायावती ने स्पष्ट किया कि यदि प्रदेश सरकार यह निर्णय वापस नहीं लेती है, तो बसपा की सरकार बनने पर यह फैसला तुरंत रद्द कर दिया जाएगा और पुरानी शिक्षा व्यवस्था को फिर से बहाल किया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि यह फैसला गरीब और पिछड़े वर्ग के छात्रों के शैक्षिक अधिकारों का हनन है। साथ ही उन्होंने प्रदेश सरकार से गरीब छात्रों के व्यापक हितों को ध्यान में रखते हुए इस निर्णय पर सहानुभूतिपूर्वक पुनर्विचार करने की अपील की है।
रेल किराया वृद्धि पर केंद्र को घेरा
एक अन्य मुद्दे पर केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए मायावती ने रेलवे टिकटों में बढ़ोतरी और महंगाई को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि देश की बड़ी आबादी पहले से ही बेरोजगारी, गरीबी और महंगाई से त्रस्त है, ऐसे में रेल किराया बढ़ाना जनविरोधी कदम है। उन्होंने इसे सरकार की ‘कल्याणकारी सोच’ की बजाय ‘व्यावसायिक नीति’ का उदाहरण बताया और केंद्र से इस पर पुनर्विचार की मांग की।
कल्याण योजनाओं पर भी उठाए सवाल
मायावती ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार देश की लगभग 64.3 प्रतिशत आबादी के कल्याण योजनाओं पर निर्भर होने को अपनी उपलब्धि बता रही है, जो वास्तव में चिंता का विषय है। उन्होंने 2016 की तुलना में इस आंकड़े में तीन गुना वृद्धि को देश में आर्थिक हालात के गिरने का संकेत माना। उनके मुताबिक, यह दिखाता है कि कैसे देश की बड़ी आबादी खुद कमाने और आत्मनिर्भर बनने की बजाय सरकारी योजनाओं पर निर्भर होती जा रही है।
सरकारी योजनाओं की सुलभता पर उठी उंगलियां
मायावती ने यह भी कहा कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेना आसान नहीं होता। आम लोगों को योजनाओं तक पहुंचने के लिए लंबी प्रक्रियाओं और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में यह दावा करना कि लोग योजनाओं का लाभ ले रहे हैं, वास्तविकता से दूर है। उन्होंने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों से अपील की कि वे गरीबों और आम जनता के हित में फैसले लें, न कि उनके लिए अतिरिक्त बोझ बनने वाले निर्णय।
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