अध्यात्म: हिन्दू पुराणों में सनातन धर्म की काफी व्याख्या की गई है. यही नहीं हिंदू धर्म में सभी देवी देवताओं की अलग-अलग व्याख्या है. इन सब में श्रेष्ठ भगवान विष्णु को विश्व का भगवान कहा जाता है. पुराणों में भगवान विष्णु के दो रूप दर्शाये गए हैं. उनका एक ओर तो उन्हें बहुत शांत, प्रसन्न और कोमल दिखाया गया है. परन्तु उनका दूसरा चेहरा बहुत भयानक है जहाँ उन्हें काल स्वरुप शेषनाग पर आरामदायक मुद्रा में बैठे हुए दिखाया गया है. शास्त्रों में भगवान विष्णु के बारे में लिखा है कि – शान्ताकारं भुजगशयनं. इसका अर्थ यह है कि भगवान विष्णु शांत भाव से शेषनाग पर आराम कर रहे हैं. भगवान विष्णु के इस रूप को देखकर प्रत्येक व्यक्ति के मन में यह प्रश्न उठता है कि सर्पों के राजा के नीचे बैठकर कोई इतना शांत कैसे रह सकता है?
हमारे जीवन में कई तरह के ऐसे पहलू होते हैं, जो जीवन के प्रत्येक क्षण कर्तव्यों और जिम्मेदारियों से सम्बंधित होते हैं. यह हमारे सामाजिक कार्यों के अलावा परिवार, और आर्थिक कर्तव्यों से भी बधित होते हैं. हालाँकि इन कर्तव्यों को पूरा करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को बहुत प्रयास करना पड़ता है तथा अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है जो काल रूपी शेषनाग के समान डरावनी होती हैं तथा इसके कारण चिंता उत्पन्न होती है. भगवान विष्णु का शांत चेहरा ऐसी कठिन परिस्थितियों में हमें शांत रहने की प्रेरणा देता है. समस्याओं का समाधान शांत रहकर ही सफलतापूर्वक ढूँढा जा सकता है.
भगवान विष्णु का नाम नारायण क्यों है?
एक पौराणिक कथा के अनुसार पानी का जन्म भगवान विष्णु के पैरों से हुआ है. गंगा नदी का एक नाम “विष्णुपदोद्की” भी है अर्थात भगवान विष्णु के पैरों से निकली हुई जो इस बात को सही सिद्ध करती है. इसके अलावा पानी को नीर या नर भी कहा जाता है तथा भगवान विष्णु भी जल में ही निवास करते हैं. अत: “नर” शब्द से उनका नारायण नाम पड़ा है. इसका अर्थ यह है कि पानी में भगवान निवास करते हैं.
“हरि” का क्या अर्थ है?
आपने सुना होगा कि भगवान विष्णु को “हरि” नाम से भी बुलाया जाता है. परन्तु आप में में से कितने लोग जानते हैं कि ऐसा क्यों? हम आपको बताते हैं. हरि का अर्थ है दूर करने वाला या चुराया हुआ. ऐसा कहा जाता है कि हरि हरति पापानि जिसका अर्थ है हरि भगवान हमारे जीवन में आने वाली समस्याओं को तथा हमारे पापों को दूर करते हैं.
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