भारत की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस (Congress) देश में लगातार सिमटती जा रही है। कांग्रेस अब यूपी विधान परिषद (UP Legislative Council) में भी शून्य होगी। साल 1935 के बाद पहली बार ऐसा होगा, जब कांग्रेस का यूपी विधान परिषद में एक भी सदस्य नहीं होगा। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 2 सीटें ही जीत पाई, जिससे विधान परिषद में कांग्रेस का एक भी सदस्य नहीं पहुंच सकता है। कांग्रेस के विधान परिषद में इकलौते एमएलसी दीपक सिंह का कार्यकाल 6 जुलाई को समाप्त होने वाला है।
दीपक सिंह जून 2016 को विधान परिषद के लिए चुने गए थे। ब्रिटिश काल में उत्तर प्रदेश विधान परिषद का गवर्मेंट ऑफ इंडिया एक्ट के तहत 1935 में गठन हुआ था। कांग्रेस तब से ही सदन में मौजूद रही है, लेकिन अब कांग्रेस का इससे बुरा दौर क्या होगा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी यूपी जैसे राज्य में भी विधान परिषद में शून्य की ओर बढ़ गई।
विधान परिषद में सपा सदस्यों की संख्या 14 तक सिमट गई है। वहीं पहली बार बीजेपी को उच्च सदन में बहुमत मिल रहा है। यूपी विधान परिषद में 100 सीटें हैं। इनमें से 38 सदस्यों का चयन विधानसभा सदस्यों के द्वारा होता है। इसके अलावा स्थानीय निकायों के जरिए 36 सदस्य चुने जाते हैं।
वहीं 16 सदस्य ग्रैजुएट और अध्यापक क्षेत्र से निर्वाचित होते हैं। इसके अलावा 10 सदस्यों का राज्यपाल मनोनयन करते हैं, जिसके लिए राज्य सरकार की कैबिनेट सिफारिश करती है। फिलहाल 14 मेंबर्स के साथ सपा दूसरे नंबर पर हैं। वहीं, बसपा का भी सदन में सिर्फ एक सदस्य ही रह जाएगा।
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