पशुधन विभाग में ठेका दिलाने के पर हुई धोखाधड़ी के मामले में नामजद हेड कांस्टेबल दिलबहार सिंह यादव (head constable Dilbahar Singh Yadav) को लेकर हुए खुलासों ने पुलिस अधिकारियों को हैरान कर दिया है। 6 दिन पहले ही दिलबहार इस फर्जीवाड़े में वांटेड हुआ, लेकिन उसके खिलाफ कार्रवाई लखनऊ और बाराबंकी पुलिस के बीच कागजी कार्रवाई में फंसी है। इस कार्रवाई के दौरान पता चला है कि दिलबहार का जब भी लखनऊ से ट्रांसफर हुआ, तब तब उसने खुद को लखनऊ से सम्बद्ध करा लिया।
पुलिस अफसरों पर भारी पड़ा हेड कांस्टेबल
अब पुलिस महकमे में यही चर्चा हो रही है कि आखिर हेड कांस्टेबल दिलबहार सिंह यादव (head constable Dilbahar Singh Yadav) और उसके जैसे कई अन्य सिपाही आखिर कैसे अफसरों पर भारी पड़ जा रहे। जानकारी के मुताबिक, व्यापारी मंजीत के साथ हुए फर्जीवाड़े की जांच इसी साल मार्च में शुरू हुई तभी हेड कांस्टेबल दिलबहार सिंह यादव का नाम सामने आ गया था।
उस वक्त दिलबहार लखनऊ में सर्विलांस सेल में था। तभी एसटीएफ ने लखनऊ पुलिस को बता दिया था कि उसे सर्विलांस सेल से हटा दिया जाये, उसकी संलिप्तता अपराधी प्रवृत्ति के काम में मिल रही है। लेकिन उसके खिलाफ कुछ नहीं हुआ। दिलबहार ने ही 31 मार्च, 2019 को पीड़ित को अन्य सिपाहियों के साथ उठाकर नाका कोतवाली में उसे खूब धमकाया था। जब उसके खिलाफ 13 जून, 2020 को एफआईआर हुई तो पहले कहा गया कि उसे निलंबित किया जा रहा है।
दूसरे दिन अफसरों ने कहा कि उसका तबादला वर्ष 2018 में बाराबंकी हुआ था पर जनवरी, 2019 में उसने खुद को लखनऊ पुलिस से सम्बद्ध करा लिया था। लिहाजा निलम्बन बाराबंकी एसपी करेंगे। उसके निलम्बन की संस्तुति कर दी गई है। लेकिन बाराबंकी पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि अभी तक उन्हें निलंबन की संस्तुति का पत्र नहीं मिला है।
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ऐसे खुला बार-बार लखनऊ में तैनाती का राज
आखिर हमेशा तबादले के बाद दिलबहार लखनऊ कैसे आ जाता है, जब इसकी पड़ताल की गई तो पता चला कि साल 2019 के शुरुआत में तत्कालीन एडीजी लखनऊ जोन के आदेश पर दिलबहार की बाराबंकी से तैनाती हटाकर लखनऊ पुलिस से संबद्ध कर दी गई थी। सूत्रों का कहना है कि दिलबहार पर कई आलाधिकारियों का हाथ था, जिनकी वजह से वह लखनऊ पुलिस में ही बना रहता था।
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हालांकि मामला खुलने के बाद 15 जून को ही दिलबहार को बाराबंकी के लिए कार्यमुक्त कर दिया गया है। फिलहाल, वह अभी भी फरार चल रहा है। मामले में बाराबंकी एसपी डॉ. अरविंद चतुर्वेदी का कहना है कि निलंबन की संस्तुति वाल पत्र नहीं मिला है, कुछ दिन पहले दिलबहार के खिलाफ कुछ शिकायतों का पत्र मिला है। उन्होंने बताया कि इसके जवाब में पूरा ब्योरा मांगा था जो नहीं मिला है।
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