विश्व हिंदू परिषद (Vishva Hindu Parishad) ने एक बार फिर धर्मांतरण (Conversion) के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। विहिप ने लव जिहाद (Love Jihad) के 420 मामलों की लिस्ट बनाई है और उसे सार्वजनिक कर दिया है। इसमें प्रयागराज, लखनऊ समेत देश भर के बड़े मामलों को शामिल किया गया है। इसके खिलाफ विहिप (VHP) की ओर से राष्ट्रव्यापीर जन जागरण अभियान चलाने का ऐलान किया गया है।
21 से 31 दिसंबर तक धर्म रक्षा अभियान
विश्व हिंदू परिषद एक ओर जहां 21 से 31 दिसंबर तक धर्म रक्षा अभियान चलाएगी। वहीं, बजरंग दल के कार्यकर्ता 1 दिसंबर से शौर्य यात्राएं निकाल रहे हैं। यह यात्रा 10 दिसंबर तक हर प्रखंड में निकाली जाएगी। दुर्गा वाहिनी के माध्यम से भी युवतियों में जागरण कर एक प्रतिरोधक शक्ति का निर्माण किया जाएगा। लोगों के बीच में जाकर कार्यकर्ता जव जिहाद और धर्म परिवर्तन न करने पर जोर देंगे।
विहिप के संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने बताया कि लव जिहाद के 400 से ज्यादा मामलों को देखते हुए धर्मांतरण विरोधी कठोर केंद्रीय कानून की मांग सरकार से की जाएगी। उन्होंने कहा कि सामाजिक असंतोष और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति खतरा निर्माण करने वाले लव जिहाद और अवैध मतांतरण को रोकने के लिए एक सशक्त केंद्रीय कानून की प्रबल आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि केरल उच्च न्यायालय ने 2010 में लव जिहाद को मतांतरण का सबसे वीभत्स स्वरुप बताया था। इसको मात्र कुछ विकृत मानसिकता वाले जिहादी युवकों की क्रूरता कहकर टाला नहीं जा सकता। इसके पीछे मुल्ला-मौलवी व कट्टरपंथी मुस्लिम नेताओं की प्रेरणा और टुकडे़- टुकडे़ गैंग का संरक्षण काम करते हैं।
केरल की हादिया के मामले में यह स्पष्ट हो गया था कि पीएफआई जैसे आतंकवादी संगठन नामी गिरामी वकीलों को करोड़ों रुपए की फीस देकर जिहादियों के पक्ष में खड़ा कर देते हैं। इसके लिए उन्हें विदेशों से अकूत धन-राशि प्राप्त होती है।
बजरंग दल की हेल्पलाइन नंबर पर 10 हजार से अधिक कॉल
संयुक्त महामंत्री ने कहा कि पिछले दिनों सर तन से जुदा गैंग काफी तेजी से सक्रिय हुआ था। तब बजरंग दल द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबरों पर 13000 से अधिक कॉल आईं। इनमें से 6285 केवल जानकारी के लिए थी, लगभग 5605 का समाधान किया गया व 9783 कॉल्स के माध्यम से युवा वर्ग बजरंग दल से जुड़ा।
डॉ. जैन ने कहा कि अवैध मतांतरण और लव जिहाद के आतंकी गठजोड़ और इसके अंतरराष्ट्रीय स्वरूप के कारण उसे केवल कुछ राज्यों में कानून बनाने से नहीं रोका जा सकता। इसके लिए एक राष्ट्र व्यापी संकल्प जरूरी है जो एक सशक्त राष्ट्रीय कानून से ही व्यक्त होगा।
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