मुकेश कुमार,संवाददाता,गोरखपुर करीब दो साल तक पराए देश में बंधक बनकर अमानवीय यातनाएं झेलने के बाद गोरखपुर और देवरिया सहित देश के 16 युवकों की गुरुवार सुबह तक सकुशल वतन वापसी हो गई। इनमें से गोरखपुर और देवरिया के चार युवक अपने घर पहुंच चुके हैं, जबकि बाकी शुक्रवार सुबह तक घर लौटने की उम्मीद है। अपनों से मिलने की उम्मीद छोड़ चुके इन युवकों के घर पहुंचते ही परिजन खुशी से फफक पड़े।
बेवजह सहनी पड़ीं दर्दनाक यातनाएं
इन युवकों को दो साल पहले नौकरी के नाम पर टूरिस्ट वीजा पर लीबिया बुलाया गया था, लेकिन वहां पहुंचते ही उनकी दुनिया अंधकारमय हो गई। उन्हें बंधक बनाकर एक सीमेंट फैक्ट्री में जबरन काम कराया जाने लगा। हालात इतने बदतर थे कि विरोध करने पर उन्हें यातनाएं दी जाती थीं। किसी तरह व्हाट्सएप कॉल और मैसेज के जरिए इन लोगों ने अपने परिवार वालों को अपनी हालत बताई और वतन वापसी की गुहार लगाई।
मीडिया और समाजसेवियों के प्रयास से लौटी उम्मीद
जब मीडिया ने इस दर्दनाक स्थिति को उजागर किया, तो मामला सरकार तक पहुंचा। इस अभियान में मानव सेवा संस्थान के निदेशक राजेश मणि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अखबार की खबरों की कटिंग के साथ विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास से ईमेल और सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार संपर्क बनाए रखा।
अक्टूबर 2024 में तीन भारतीयों को रिहा करा लिया गया, लेकिन फैक्ट्री मालिक बाकी 16 कामगारों को छोड़ने को तैयार नहीं था। ऐसे में कामगारों और उनके परिवार वालों की उम्मीदें टूटने लगीं, लेकिन ‘हिन्दुस्तान’ ने लगातार इस मुद्दे को उठाया और सरकार से हस्तक्षेप की मांग करता रहा।
Also Read लीबिया में डेढ़ साल बंधक रहे मिथिलेश, वतन लौटकर बोले – अब कभी नहीं जाऊंगा विदेश
गोरखपुर की बेटी तबस्सुम मंसूर बनीं मसीहा
लीबिया में रहने वाली गोरखपुर की बेटी तबस्सुम मंसूर ने इस मुश्किल घड़ी में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने स्थानीय प्रशासन की मदद से बंधकों से मुलाकात की और भारतीय दूतावास से संपर्क कर उनकी रिहाई सुनिश्चित कराई। आखिरकार सोमवार को सभी 16 बंधकों का चिकित्सीय परीक्षण कराया गया और मंगलवार को उन्हें लीबिया के बेनगाजी एयरपोर्ट से तुर्की के इस्तांबुल के लिए रवाना कर दिया गया।
वतन लौटकर छलक पड़े आंसू
इस्तांबुल एयरपोर्ट पर जांच के दौरान नौ भारतीयों के दस्तावेजों में कमी पाई गई, जिससे उन्हें एक दिन बाद फ्लाइट पकड़नी पड़ी। वहीं, सात भारतीय बुधवार भोर में नई दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे और गुरुवार को अपने घर लौट आए। जैसे ही ये युवक अपने परिवार से मिले, वहां खुशी और भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। अपनों को सीने से लगाकर ये युवक फूट-फूटकर रो पड़े।
अब ये सभी युवक एक ही बात कह रहे हैं – “अपना देश सबसे प्यारा है। अब इसे छोड़कर कभी कहीं नहीं जाएंगे।”