जहांगीर, जिसने तड़पा-तड़पाकर ली थी सिख गुरू अर्जन देव की जान, क्रूरता की कहानियां सुन रूह कांप जाएगी, करीना-सैफ ने बेटे को दिया है यही नाम

एक्ट्रेस करीना कपूर खान (Kareena Kapoor Khan) और सैफ अली खान (Saif Ali Khan) इसी साल फरवरी महीने में एक बार फिर से माता-पिता बने हैं. वहीं, तैमूर से अलग अपने छोटे बेटे के लिए सैफीना काफी प्रोटेक्टिव रहे हैं. उन्होंने अभी तक अपने बेटे का चेहरा नहीं दिखाया है लेकिन उसके नाम को लेकर चर्चाएं काफी पहले से ही शुरू हो गई थीं. इसके बाद दादा रणधीर कपूर ने बताया था कि सैफ-करीना के बेटे का नाम जेह है. करीना की प्रेग्नेंसी से जुड़ी किताब में खुलासा हुआ है कि उनके बेटे का नाम जहांगीर अली खान (Jahangir Ali Khan) है. जिसे लेकर सोशल मीडिया पर जबरदस्त हंगामा देखने को मिल रहा है. जब से करीना के बेटे का नाम सामने आया है लोग इतिहास के पन्ने पलट रहे हैं, और मुगल शासक की क्रूरता की कहानी शेयर कर तरह-तरह के उठा रहे हैं.


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कौन था जहांगीर ?

मुगल वंश के चौथे सम्राट जहांगीर (Jahangir) का जन्म 1569 में फतेहपुर सीकरी में मुगल सम्राट अकबर और उनकी पहली पत्नी मरियम-उज़-ज़मानी, अंबर के राजा भारमल की बेटी के यहां हुआ था. बता दें कि अकबर के बाद, जहांगीर चौथे मुगल सम्राट बने थे, जिन्होंने 1605 से 1627 में अपनी मृत्यु तक शासन किया था. अपने पिता की तरह उन्होंने भी मुगल सम्राट के विस्तार के उद्देश्य से सैन्य अभियानों की एक श्रृंखला शुरू की थी.


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ऐसे मिला जहांगीर को सलीम नाम

अकबर ने फतेहपुर सीकरी में रहने वाले एक मौलाना शेख सलीम चिश्ती से दुआ मांगी थी. इस बात पर मौलाना ने भविष्यवाणी कर ये कहा कि अकबर के तीन बेटे होंगे और वे कम उम्र में नहीं मरेंगे. इसके बाद जब 1569 में अकबर ने अपनी पहली पत्नी के गर्भवती होने की खबर सुनी, तो उसने बच्चे के जन्म तक उसे शेख के घर भेज दिया. वहीं शेख की भविष्यवाणी सच होने के बाद अकबर ने अपने बेटे का नाम उनके नाम पर सलीम रख दिया.


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तड़पा-तड़पा कर कराई थी सिख गुरू की हत्या

अकबर की मौत के बाद उसका पुत्र जहांगीर अगला मुग़ल बादशाह बना. जहाँगीर बेहद घमंडी और दुष्ट शासक था. वह पूरे मुल्क पर अपना ही राज चाहता है परन्तु सिख धर्म के गुरु, गुरु अर्जन देव जी की बढ़ती हुई लोकप्रियता उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी. उसे यह खौफ सताने लगा की जिस तरह से गुरु जी लोक भलाई करके सबका दिल जीत रहे हैं, इसी तरह से वे पूरे देश पर राज कर लेंगे. उनकी इसी सफलता से आहत होकर जहांगीर ने उन्हें शहीद करने का फैसला कर लिया. 


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गुरु अर्जुन देव जी को लाहौर बुलाया गया. मई महीने के चिलमिलाती हुई गर्मी में उन्हें लोहे के गर्म तवे पर बिठाया गया. तवे के नीचे आग जलाई गयी और ऊपर से गुरु जी के शरीर पर गर्म-गर्म रेत भी डाली गयी. जब गुरु जी का शरीर अग्नि के कारण बुरी तरह से जल गया तो उन्हें पास ही रावी नदी के ठंडे पानी में नहाने के लिए भेजा गया. कहते हैं गुरु जी दरिया में नहाने के लिए उतरे तो लेकिन कुछ ही क्षणों में उनका शरीर रावी में आलोप हो गया.


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क्रूरता की कहानियां सुन रूह कांप जाएगी

जहांगीर की क्रूरता किसे नहीं पता है. एलिसन बैंक्स फ़िडली ने अपनी किताब ‘नूरजहां: एंपरेस ऑफ मुगल इंडिया’ में इसका पूरा वर्णन किया है. 17 अक्तूबर, 1605 को अकबर की मौत के बाद जहांगीर ने मुगल तख्त पर आसीन हुए. कहा जाता है कि जहांगीर कभी तो बहुत दरियादिल होते और कभी बेहद खूंखार. एल‍िसन लिखते हैं- जहांगीर ने अपने एक नौकर का अंगूठा सिर्फ इसलिए कटवा दिया था, क्योंकि उसने नदी के किनारे लगे चंपा के कुछ पेड़ काट दिए थे. उसने नूरजहां की एक कनीज को गड्ढ़े में आधा गड़वा दिया था. उसका कसूर था कि उसे एक किन्नर का चुंबन लेते पकड़ लिया गया था. एक आदमी को उसके पिता की हत्या करने की सजा देते हुए जहांगीर ने उसे एक हाथी की पिछली टांग से बंधवा कर कई मीलों तक खिंचवाया था.”


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बेटे की आंखें फोड़ दी 

जहांगीर ने अपने बेटे खुसरो के साथ भी बर्बरता से पेश आए थे. खुसरों ने जब अपने पिता जहांगीर के ख‍िलाफ बगावत की थी तब जंग में वे हार गए. इसके बाद जहांगीर ने खुसरो की आंखें फोड़ दी थी. हालांकि जहांगीर ने खुसरो की आंखों का इलाज भी करवाया पर उसकी आंखों की रोशनी कभी वापस नहीं आई. 


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