इंसेफ्लाइटिस (Encephalitis) इन दिनों फिर से सुर्खियों में हैं, जिसका कारण है बिहार में बच्चों की मौत पर मचा हड़कंप. चमकी बुखार (एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी एईएस) का कहर कुछ ऐसा बरपा है कि मौत का आंकड़ा 100 के पार जा चुका है. यही वजह है कि यूपी और बिहार के एईएस प्रभावित इलाकों में एहतियात बरती जा रही है.
रिपोर्ट के मुताबक गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में यूपी, बिहार और नेपाल से आने वाले इंसेफेलाइटिस प्रभावित बच्चों के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ के ‘पशेंट ऑडिट फार्मूला’ (Patient Audit Formula) रामबाण साबित हुआ है. बता दें कि साल 2018 से यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पेशेंट ऑडिट फार्मूला और पेशंट केयर फार्मूला लागू किया था. इस फार्मूले से यहां भर्ती होने वाले मरीजों और मौतों का आंकड़ा काफी कम हो गया है, इसे योगी सरकार की एक बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है.
पिछले साल मई तक 168 मरीज आए थे, जिसमें 57 की मौत हो गई थी. इस साल 2019 में 78 मरीजों में से 15 बच्चों को मौत हुई हैं. बीआरडी मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल डॉ. गणेश कुमार ने बताया कि जापानी इंसेफेलाइटिस के टीकाकरण के कारण इसके मरीजों की संख्या में काफी कमी आई है, क्योंकि इसका मुख्य कारण शहर से लेकर गांव तक जागरूकता अभियान के जरिए इस बीमारी से बचाव की जानकारी दी गई.
योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद इंसेफ्लाइटिस (Encephalitis) के उपचार के लिए उन्होंने जहां अन्य केंद्र तैयार कर वैकल्पिक ढांचा तैयार कराया, वहीं पेशेंट ऑडिट का फार्मूला (Patient Audit Formula) लागू कर मरीजों को सीधे बीआरडी कॉलेज गोरखपुर आने से रोक दिया गया. बीआरडी कॉलेज से बाहर तैयार किए गए केंद्रों ने भी जिम्मेदारी निभाई. यही वजह रही कि प्रदेश में इस वर्ष सभी मामलों को मिलाकर भी मरीजों और मौत के आंकड़े बीते वर्षो से खासे कम नजर आ रहे हैं.
टीम वर्क ने का भी रहा योगदान
ऐसा पहली बार हुआ कि जब इंसेफ्लाइटिस के बुखार पर वार के स्लोगन के साथ स्वास्थ्य विभाग के साथ पांच अन्य विभागों की टीम एकजुट थी. चिकित्सा शिक्षा, महिला कल्याण, बाल विकास, पंचायती राज व नगर विकास विभाग की टीमों ने मिलकर पेयजल से लेकर स्वच्छता, टीकाकरण व जागरूकता के ऐसे कार्यक्रम चलाये, जिसका असर अस्पताल से लेकर गांवों की जमीन तक महसूस होने लगा है.
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