उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Government) ने सभी जिलाधिकारियों को लॉकडाउन के दौरान महामारी संबंधी दिशा-निर्देशों के उल्लंघन के लिए दर्ज मामलों को वापस लेने के लिए कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है। गृह विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, 3 लाख मामले (Three Lakh Cases) वापस लिए जाएंगे।
नेताओं को नहीं मिलेगी कोई छूट
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्यों के सभी मुख्य सचिवों को ऐसे मामलों का मूल्यांकन करने और व्यापक जनहित में आम लोगों के खिलाफ केस वापस लेने का आदेश दिया है। हालांकि, ऐसे मामलों में सांसदों, विधायकों, पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों को केस वापस लेने की कोई छूट नहीं दी गई है।
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गृह विभाग के एक अधिकारी ने यह भी कहा कि सिर्फ उन्हीं मामलों को वापस लिया जा रहा है, जिनमें दो साल तक की सजा या जुर्माना हो सकता है। ये मामले आपदा प्रबंधन अधिनियम, महामारी अधिनियम के तहत दर्ज किए गए थे और लोक सेवक द्वारा कोविड-19 प्रोटोकॉल को तोड़ने के लिए विधिवत आदेश दिए गए थे।
गृह विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने कोविड-19 प्रोटोकॉल के उल्लंघन से जुड़े मामलों को वापस लिया है। 8 अक्टूबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर कार्रवाई करते हुए राज्य सरकार को कानून के अनुसार कोविड-19 प्रोटोकॉल उल्लंघन के मामलों को वापस लेने के लिए निर्देश दिया है।