लेडी सिंघम के नाम से पहचान बनाने वाली आईपीएस अधिकारी चारु निगम का सफर भी मुश्किलों से भरा है। आईपीएस चारु निगम की कामयाबी में की अड़चने आईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं नहीं मानी और 2013 में आईपीएस में सलेक्ट हुई। करीब एक साल पहले की जब लेडी सिंघम चारु निगम अपनी ट्रेनिंग के दौरान बतौर एसपी सिटी वाराणसी में तैनात थी।
जांच में सिपाही की निकली थी गलती
इस दौरान एक दिन सरिता नाम की एक महिला उनके ऑफिस पहुंची, उसके पूरे शरीर पर चोट के निशान थे। चारु ने जब पता लगाया तो पता चला कि उसकी यह हालत उसके विभाग के एक सिपाही ने की है। पहले तो उनके आदेश पर सिपाही को गिरफ्तार करके महिला थाने लाया गया।
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बताया जाता है कि इसके बाद लेडी सिंघम चारु निगम ने खुद ही उस सिपाही की जमकर धुनाई की थी। ये घटना आज भी वहां तैनात एक-एक सिपाही अच्छी तरह से याद है। चारु के काम करने का स्टाइल अलग है। एंटी रोमियो सेल की हेड रहते हुए चारु ने 50 लड़कों को पकड़ा था। जिनपर कार्रवाई करने के बजाय काउंसलिंग करके घर जाने दिया। चारु के साथ ट्रेनिंग कर चुके आईपीएस ने बताया कि हमने इतनी संवेदनशील आईपीएस बहुत कम हैं।
बीच सड़क पर बीजेपी नेता ने किया था अपमानित
चारु निगम वाराणसी के बाद गोरखपुर में तैनात हुईं। जहां पर योगी सरकार आने के बाद एंटी रोमियो स्क्वायड की हेड होते हुए मजनूओं को सबक सिखाया। चारू निगम के काम करने के स्टाइल से मजनूओं की आफत आ गई। लेकिन गोरखपुर में कुछ ऐसा हुआ कि चारु निगम हजारों लोगों के सामने रो पड़ी।
दरअसल स्थानीय बीजेपी विधायक राधा मोहन दास ने सरेआम चारु निगम को अपमानित कर दिया। जिसके बाद चारु निगम की आंखो में आंसू छलक गए। जिसके दूसरे दिन फेसबुक पर उन्होंने आंसू निकालने कारण भी बताए। चारु को जानने वाले लोग बताते हैं कि झांसी मे एक सड़क दुर्घटना में एक बच्चा घायल हो गया था। उसकी गंभीर हालात देखकर चारु ने एम्बुलेंस का इतंजार किये बिना बच्चे को गोद में उठाकर अस्पताल पहुंचाया था।
मुश्किलों को हराकर आईपीएस बनीं हैं चारु
आईटीयन के परिवार से ताल्लुक रखने वाली चारु के लिए जिदंगी कभी भी आसान नहीं रही, पिता व भाईयों की तरह चारु ने भी आईआईटी की परीक्षा पास की, लेकिन नंबर कम होने की वजह से उन्हें दाखिला नहीं मिल पाया। पिता के समझाने पर 2010 चारु ने सिविल परीक्षा की तैयारी शुरु की लेकिन इसी दौरान 2011 में उनके पिता की मौत हो गई।
चारु अपने पिता की मौत के सदमे से पूरी तरह टूट गई। और डिप्रेशन में चली गई। उन्हें लगने लगा कि पापा के बिना में कुछ नहीं कर पाएंगी। चारु खुद को आईपीएस बनने के लायक मानती ही नहीं थी। लेकिन चारु ने एक बारि फिर इस दर्द को समेटते हुए सिविल की परीक्षा की तैयारी शुरु की और साल 2013 में 586 रैंक के साथ सिविल परीक्षा पास किया। चारु के बहन और भाई इंजीनियर हैं।
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