लोकसभा चुनावों से पहले गुजरात में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है, इस बार कांग्रेस पार्टी की विधायक आशा पटेल ने कांग्रेस की ‘बांटने वाली राजनीति और अंदरूनी कलह’ का हवाला देते हुए विधानसभा और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. साथ ही आशा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को एक चिट्ठी लिख इस्तीफे में लिखा है, ‘एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया, जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस यहां विभिन्न जातियों के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश में जुटी है.’
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गौरतलब है कि, आशा पटेल मेहसाणा जिले के ऊंझा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक है. शनिवार सुबह आशा पटेल ने गांधीनगर में गुजरात विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी अपना इस्तीफा सौंपा जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है. ऊंझा, महेसाणा लोकसभा सीट में आने वाले सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. यहां की सात विधानसभा सीटों में से चार बीजेपी और तीन कांग्रेस के पास हैं. वहीं महेसाणा लोकसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह नगर वडनगर भी ऊंझा विधानसभा क्षेत्र में ही पड़ता है. आपको बता दें कि, गुजरात में पटेल आरक्षण आंदोलन के बाद 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में आशा पटेल ने बीजेपी के नारायण लालू पटेल को हराकर ऊंझा सीट पर कब्जा जमाया था.
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बीजेपी में शामिल होने पर चुप रही आशा पटेल
इस्तीफे के बाद आशा पटेल ने पत्रकारों से कहा, ‘मैंने अंदरूनी कलह और पार्टी नेतृत्व के मुझे नजरअंदाज करने के चलते इस्तीफा दिया है.’ पटेल ने यह भी दावा किया है कि पिछले एक साल में राज्य के मुद्दों पर दी गई उनकी किसी भी राय पर गौर नहीं किया गया. सत्तारूढ़ बीजेपी में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह कोई निर्णय लेने से पहले निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से विचार-विमर्श करेंगी.
दूसरी ओर कांग्रेस राज्य इकाई के अध्यक्ष अमित चावड़ा ने कहा कि ऐसा लगता है कि आशा पटेल ने अपने निजी स्वार्थ के चलते यह निर्णय लिया है. उन्होंने कहा, ‘शुक्रवार तक उन्होंने इस बारे में कुछ नहीं कहा था.’ आपको बता दें कि इससे पहले कांग्रेस विधायक कुंवरजी बावलिया ने भी कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 182 सीटों में से बीजेपी ने 99 और कांग्रेस ने 77 सीटों पर जीत हासिल की थी.
अमित चावड़ा ने लगाया भाजपा पर आरोप
आशा पटेल के इस्तीफे के बारे में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित चावड़ा ने कहा कि कल तक उन्हें कांग्रेस से कोई परेशानी नहीं थी. अचानक आज ही उन्होंने कांग्रेस सेे नाता तोड़ लिया. भाजपा हमारे नेताओं को लालच देकर उन्हें तोड़ रही है. आशा पटेल ने अपने मतदाताओं को विश्वास में लिए बिना ही इस्तीफा दे दिया है. इस तरह से उन्होंने मतदाताओं के साथ विश्वासघात किया है.
कौन है आशा पटेल?
दस वर्ष पहले ही राजनीति में सक्रिय हुई आशा पटेल ने 2012 में ऊंझा सीट से भाजपा के खिलाफ हार गई थी. परंतु 2017 में नारायण लल्लू पटेल को हराकर उसने जीत हासिल की. उल्लेखनीय है कि ऊंझा सीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गांव वडनगर भी आता है.
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