इस बदलते मौसम का असर सबसे ज्यादा बच्चों पर पड़ता है. बच्चों की तबियत ही सबसे जल्दी खराब हो जाती है. ऐसे में कई बार हम नॉर्मल बुखार में जैसे खुद पेरासिटामोल खाते हैं ठीक वैसे ही बच्चों को भी खिला देते हैं. बच्चों को बुखार होने पर जरूरी नहीं कि तुरंत दवा देना जरूरी है. कई बार बिना दवाओं के बुखार का इलाज उनकी इम्यूनिटी मजबूत बनाने का काम करता है. क्या आप जानते हैं बच्चों को पेरासिटामोल देने के समय कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.
इन बातों का रखें ध्यान
डॉक्टर की सलाह: बच्चे को पैरासिटामोल देने से पहले बच्चे के डॉक्टर से जरूर सलाह ले लें. ऐसा करने से आप वजन और उम्र के हिसाब से बच्चे को सही मात्रा में दवा दे सकेंगे.
सही मात्रा में दें: अगर खुराक देने के बाद भी बुखार जल्दी नहीं उतर रहा है तो कई लोग अधिक मात्रा में पेरासिटामोल देने लगते हैं जो गलत तरीका है.
टेम्परेचर चेक करे: अगर आप बच्चे को ओरल ड्रग दे रहे है तो उससे पहले एक बार टेम्प्रेचर जरूर चेक करें. अगर तापमान 100 डिग्री फ़ारेनहाइट से अधिक हो तभी पैरासिटामोल दें.
ओवरडोज से बचें: अगर बच्चा दो दवाओं को साथ में ले रहा है तो आप दवाओं के बारे में डॉक्टर से सलाह लें. कई बार खांसी सदी की दवाओं में भी पेरासिटामोल का डोज होता है. ऐसे में बच्चे को पेरासिटामोल देने में ओवर डोज हो सकता है.
वजन के हिसाब से डोज: पेरासिटामोल की खुराक बच्चे के वजन पर निर्भर करता है. अगर आपके बच्चे का वजन 5 या उससे कम है तो पैकेजिंग पर दिए गए निर्देश या डॉक्टर की सलाह पर ही दवा दें.
बेवजह देने से बचें: पेरासिटामोल का उपयोग केवल बुखार के लिए नहीं, बल्कि दर्द के लिए भी किया जाता है. अगर बच्चे को बुखार है लेकिन उसे असुविधा नहीं हो रही तो उसे पेरासिटामोल न दें.
कब तक दें: अगर 3 दिन पेरासिटामोल देने के बावजूद बुखार कम नहीं हो रहा हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. हो सकता है कि बच्चे को कोई संक्रामक बीमारी हुई हो जिसका इलाज जल्द शुरू करना जरूरी हो.
चार घंटे का गैप जरूरी: 24 घंटे में 4 बार से अधिक पैरासिटामोल देना सही नहीं होता है. यह भी जरूरी है कि बच्चों को दिनभर में 4 बार ही पैरासिटामोल देना सुरक्षित होता है.
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