रामपुर सदर विधानसभा क्षेत्र में चुनावी बिसात बदलने के साथ ही सालों पुराना रिवाज भी बदल गया और भाजपा ने आजम खां का 40 साल पुराना सियासी वर्चस्व तोड़कर पहली बार इस क्षेत्र में परचम लहरा दिया. आजम का गढ़ कहे जाने वाले रामपुर में आकाश सक्सेना ने सेंध लगा दी है. आकाश सक्सेना वही हैं, जिन्होंने सपा के दिग्गज नेता आजम खान के लिए मुश्किलें खड़ी कीं. आजम को सलाखों के पीछे भिजवाने में भी उनका बड़ा हाथ रहा है.
भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना ने खां के करीबी माने जाने वाले सपा उम्मीदवार आसिम राजा को 33702 मतों से हराकर पहली बार यह सीट भाजपा के नाम दर्ज करा दी. आजम खान करीब 45 साल बाद रामपुर के किसी चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर खड़े नहीं थे, लेकिन यह चुनाव भाजपा बनाम आजम खां के तौर पर ही लड़ा गया. उपचुनाव मतगणना के दौरान आसिम राजा 19वें चक्र तक करीब साढ़े सात हजार मतों से आगे रहे, लेकिन 21वां चक्र आते-आते भाजपा उम्मीदवार सक्सेना ने करीब 12000 मतों से बढ़त बना ली. इसके बाद वह कभी नहीं पिछड़े.
जानिए कौन हैं आकाश सक्सेना ?
आजम खान की विधायकी में संकट उत्पन्न करने में आकाश सक्सेना का अहम योगदान माना जाता है. आकाश पेशे से व्यवसायी है और पूर्व मंत्री शिव बहादुर सक्सेना के बेटे हैं. उन्होंने ही आजम के खिलाफ केस दर्ज करवाया था. जिसका फैसला आने के बाद आजम की सदस्यता को समाप्त कर दिया गया. आकाश अब्दुल्ला आजम की फर्जी डिग्री केस में उनकी विधानसभा सदस्यता को समाप्त करवाने में भी बड़ी भूमिका निभा चुके हैं. आकाश छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे और उसके बाद कारोबार में सक्रिय हुए. वह आईआईए के लंबे समय तक चेयरमैन भी रहे हैं. भाजपा ने उन्हें पश्चिमी यूपी के लघु उद्योग प्रकोष्ठ का संयोजक भी बनाया था.
आकाश आजम और उनके परिवार के खिलाफ दर्ज 43 मुकदमों में सीधे पक्षकार हैं. आकाश सक्सेना की आजम परिवार से लड़ाई 2018 में अब्दुल्ला के फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट मामले से शुरू हुई थी, जो आजम की विधायकी जाने तक जारी है. उनके पिता शिव बहादुर सक्सेना रामपुर की स्वार टांडा विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट से चार बार विधायक रह चुके हैं. वह कल्याण सिंह सरकार में मंत्री भी थे. उनका कल्याण सिंह, अटल बिहारी वाजपेई और लाल कृष्ण आडवाणी जैसे बीजेपी नेताओं से अच्छे रिश्ते थे.
गौरतलब है कि बीजेपी ने आकाश सक्सेना को बीते विधानसभा चुनाव में रामपुर से टिकट दिया था. आकाश आजम खान के खिलाफ चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. आजम खान ने जेल में रहते हुए रामपुर सीट से चुनाव जीता था.
70 साल में पहली बार रामपुर से जीता हिंदू प्रत्याशी
आपको बता दें कि आजम खान की सदस्यता जाने के बाद ये सीट खाली हुई थी. रामपुर विधानसभा सीट पर दूसरी बार उपचुनाव हुआ. पहली बार उपचुनाव 2019 में हुआ था. उस वक्त आजम खान ने विधायक रहते हुए लोकसभा का चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. चुनाव जीतने के बाद उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ था, जिसमें आजम खां की पत्नी डॉ. तजीन फात्मा ने जीत हासिल की थी. आजम ने सांसद रहते हुए इस सीट पर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की. पिछले 70 साल से इस सीट पर कोई हिंदू प्रत्याशी नहीं जीता था. 1952 से लेकर साल 2022 तक इस पर मुस्लिम उम्मीदवारों का दबदबा रहा है. बता दें कि सपा नेता आजम खान रामपुर सीट से 10 बार विधायक चुने गए हैं.
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