नेपाल की गंडक नदी से चलकर बुधवार को शालिग्राम शिला (Shaligram Shila) रामनगरी अयोध्या (Ayodhya) पहुंच गईं, जहां श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट सहित अयोध्या के साधु-संत और स्थानीय लोगों ने शिला का भव्य स्वागत किया। आज दोनों शिलाओं के राम मंदिर ट्रस्ट को सौंप दिया जाएगा। इन शिलाओं को 6 करोड़ साल पुराना बताया जा रहा है।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, डॉ. अनिल मिश्र और मेयर ऋषिकेश उपाध्याय ने शिलाओं को रामसेवकपुरम में रखवाया। गुरुवार यानी आज शिलाओं को पूजन किया जाएगा। इसके बाद इन शिलाओं को राम मंदिर के महंतों के सुपुर्द किया जाएगा। रामजन्मभूमि परिसर में शिलाओं को रखने के खास इंतजाम किए गए हैं।
Uttar Pradesh | Shaligram stones brought from Nepal reached Ayodhya.
They are expected to be used for the construction of idols of Ram and Janaki. pic.twitter.com/76L3IzNdAF
— ANI (@ANI) February 2, 2023
वहीं पूजन में शामिल होने के लिए 100 महंतों को आमंत्रित किया गया है। इन शिला से भगवान राम की मूर्ति बनाई जाएंगी। वहीं, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की मूर्तियां भी इन्हीं शिलाओं से बनाई जाएंगी। रामलला की मूर्ति 5 से साढ़े 5 फीट की बाल स्वरूप की होगी।
मूर्ति की ऊंचाई इस तरह तय की जा रही है कि रामनवमी के दिन सूर्य की किरणें सीधे रामलला के माथे पर पड़ें। जानकारी के मुताबिक, एक शिला का वजन 26 टन है वहीं दूसरा 14 टन का है। शास्त्रों के मुताबिक शालिग्राम में भगवान विष्णु का वास माना जाता है।
पौराणिक ग्रंथों में माता तुलसी और भगवान शालिग्राम के विवाह का उल्लेख भी मिलता है। शालिग्राम के पत्थर गंडकी नदी में ही पाए जाते हैं। मान्यता है कि जिस घर में शालिग्राम की पूजा होती है, वहां सुख-शांति और आपसी प्रेम बना रहता है। साथ ही माता लक्ष्मी की भी कृपा बनी रहती है।
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