Atrocities on Hindus in Bangladesh: भारत का एक और पड़ोसी बांग्लादेश गहरी राजनीतिक अस्थिरता के युग में प्रवेश कर गया है। आरक्षण विरोध के नाम आरम्भ हुआ छात्र आंदोलन, कट्टरपंथी इस्लामिक हिंसा में बदल गया, बहादुर व शक्तिशाली नेता मानी जाने वाली प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा और अभी वे भारत में हैं। बाद में हुए परिवर्तन, मोहम्मद युनुस का आना और प्रधानमंत्री नियुक्त होना, खालिदा जिया का बाहर आना मोटे तौर पर स्पष्ट करता है कि बांग्लादेश सरकार अमेरिका व पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के षड्यंत्र का शिकार हुई है।
बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद वहां रहने वाले 1.35 करोड़ हिंदु समाज के साथ जो बर्बर हिंसा की जा रही है वह पूरी मानवता को शर्मसार करने वाली है। शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से राजधानी ढाका सहित पूरे बांग्लादेश में हिन्दुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। उनके घरों, प्रतिष्ठानों, दुकानों, मंदिरों को आग लगाई जा रही है उन्हें लूटा जा रहा है। बांग्लादेश में हो रही हिन्दुओं के विरुद्ध हिंसा में इस्कॉन के प्रसिद्ध मंदिर के साथ साथ कम से कम 300 मंदिरों को क्षतिग्रस्त किया जा चुका है, लूटा जा चुका है और आग के हवाले किया जा चुका है। हिंदू अल्पसंख्यकों के बाद सिख, जैन, बौद्ध व अल्पसंख्यक ईसाई समाज के साथ भी अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। बांग्लादेश के उपद्रवियों का मानना है कि है वहां के अल्पसंख्यक शेख हसीना के समर्थक रहे हैं और उन्हीं के वोटों से वह बार बार प्रधानमंत्री बनती रही हैं। छात्र आंदोलन को हाईजैक करने वाले इस्लामिक कट्टरपंथी अब हिंदू समाज से बदला ले रहे हैं।
बांग्लादेश में छात्र आंदोलनकारी यदि केवल आरक्षण विरोधी आंदोलन कर रहे थे तो वह आंदोलन अब तक समाप्त हो जाना चाहिए था किंतु अब इस हिंसा ने कुछ और ही परिदृष्य बना दिया है। बांग्लादेश से आज हिंदू पलायन करना चाहते हैं। बांग्लादेश में सरकार विरोधी हिंसा अब हिंदू विरोधी हिंसा में परिवर्तित हो चुकी है और लगातार जारी है।बांग्लादेश की हिंसा में साधारण हिंदू जनता से लेकर बांग्लादेश के विकास में अहम भूमिका निभाने करने वाले वहां के हिन्दू फिल्म अभिनेता, गायक, खिलाड़ियों के घरों व संपत्ति को भी नहीं छोडा गया है। बांग्लादेश के लोकप्रिय गायक राहुल आनंद के घर जमकर लूटपाट की गई फिर आग लगा दी गई। हिंदू नेताओं के शव बरामद हो रहे हैं तथा वहां पर रहने साधु -संत भी हिंसा का शिकार हो गये हैं। बांग्लादेश में जारी हिंदू विरोधी हिंसा के भयानक वीडियो सोशल मीडिया में लगातार आ रहे हैं। कट्टरपंथियों के निशाने से शमशान तक नहीं बचे हैं। बांग्लादेश में शायद ही कोई जिला बचा हो जो इनकी हिंसा व आतंक का निशाना न बना हो।
बांग्लादेश में हिंदुओ के साथ ऐसी हिंसा शेख हसीना सरकार के कार्यकाल में भी किसी न किसी बहाने होती रही है। आंकड़ों के अनुसार बांग्लादेश में 2013 से 2022 तक हिंदुओं पर 3600 हमले हुए थे, कभी ईशनिंदा के नाम पर कभी किसी बहाने। बांग्लादेश में विभाजन के समय हिंदू 32 प्रतिशत थे जो अब 8 प्रतिशत से भी कम बचे हैं और वह भी लगातार जेहादी उत्पीड़न के शिकार हो रहे हैं। अब ताजा हिंसा से बांग्लादेश से हिंदुओं का पलायन और तीव्रता के साथ होने की आशंका बलवती हो गयी है।यही कारण है कि देश की सभी सुरक्षा एजेंसियां सीमा पर हाई एलर्ट मोड में हैं।
भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित सभी हिंदू संगठनों ने बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ घट रही पीड़ादायक हिंसा की निंदा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वहां पर तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के नये अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद युनूस को बधाई देते हुए हिंदुओं की सुरक्षा करने की बात भी कही है। विदेश मंत्री एस जयशंकर भी बांग्लादेश के हालात पर लगातार नजर रख रहे हैं।
भारत में बांग्लादेश की हिंसा पर दुख व चिंता है लेकिन दुर्भाग्य यह है भारत के विरोधी दल और उनके प्रवक्ता इसमें भी अपने वोट बैंक को खुश करने का प्रयास करते दिखाई पड़ रहे हैं। बांग्लादेश प्रकरण पर कांग्रेस अथवा इंडी गठबंधन दल के किसी भी नेता ने हिन्दुओं पर हो रही हिंसा की निंदा तक नहीं की है। कांग्रेस के सत्तालोलुप नेता तो यहाँ तक सपने देखने लगे कि “भारत में भी बबांग्लादेश जैसे हालात हो सकते हैं” जैसे बयान दे रहे हैं। इनमें कांग्रेस के नेता बैसाखी चोर नेता सलमान खुर्शीद से लेकर मणिशंकर अय्यर तक शामिल हैं। स्मरणीय है कि लोकसभा चुनावों के दौरान सलमान खुर्शीद की रिश्तेदार ने चुनाव पचार के दौरान वोट जिहाद करने की अपील की थी। मणिशंकर अय्यर जो भारत में बांग्लादेश जैसे हालात पैदा होने की बात कह रहे हैं वो पाकिस्तान जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा को हराने के लिए मदद मांग रहे थे।
बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रही हिंसा के मध्य ही पाकिस्तान ने भारत के पांच लोकसभा सांसदों के लिए आम भेजे हैं जिनमे प्रमुख है कांग्रेस नेता व सांसद राहुल गांधी जिन्होंने अभी हाल ही में लोकसभा में हिंदुओं को हिंसक कहा था और बांग्लादेश की हिंसा की निंदा तक नहीं कर पा रहे है। राहुल गाँधी पाकिस्तानी आम खाकर बांग्लादेश में हुए तख्तापलट और वहां पर हिंदुओं के साथ हो रही हिंसा का जश्न मना रहे हैं।
जो लोग लोकसभा में तीसरी हार और नरेन्द्र मोदी की सीटें कम हो जाने के बाद सपना देख रहे थे कि लोकसभा अध्यक्ष चुनाव के समय मोदी सरकार गिर जाएगी नहीं गिरी, फिर सोचा कि बजट के समय गिर जाएगी तब फिर नहीं गिरी और अंत में जब वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया गया तब इन लोगों को लगा कि अब तो मोदी सरकार चली ही जाएगी तब भी मोदी सरकार नहीं गिरी। लालू प्रसाद यादव ने भविष्यवाणी कर दी थी कि अल्पमत में मोदी सरकार अगस्त में तो गिर ही जाएगी पर अब तो वह अगस्त का महीना भी पार होता दिखाई पड़ रहा है।
भारी निराशा में ये लोग सत्ता के लालच में भारत को बांग्लादेश जैसे हिंसक हालात में धकेलने के सुनियोजित षड्यंत्र के तहत ऐसे बयान दे रहे हैं । यह समय जन सामान्य के लिए भी बहुत ही सतर्कता व सावधानी बरतने वाला है क्योंकि सलमान खुर्शीद और मणि शंकर अय्यर अकेले नहीं हैं फारूख अब्दुल्ला से लेकर महबूबा मुफ़्ती और उद्धव ठाकरे सरीखे नेता भी इनका समर्थन कर रहे हैं। उद्धव ठाकरे एक समय हिंदूवादी नेता माने जाते थे किंतु बांग्लादेश में हिंदुओ के साथ जो अमानवीय अत्याचार हो रहे हैं उसकी निंदा तक नहीं कर रहे हैं अपितु इंडी गठबंधन के साथ जश्न ही मना रहे हैं।
भारत में भी आज के विषम राजनीतिक वातावरण में हिंदुओं की सुरक्षा व अस्मिता ही सबसे सस्ती हो गई है क्योंकि वह जातियों में बंटा होने के कारण बड़ा वोट बैक नहीं बन सकता है। यह भी विचारणीय प्रश्न है कि क्या बांग्लादेश की घटनाओं से भारत के हिन्दू कुछ शिक्षा लेंगे ? बंगला देश में जो मारे जा रहे हैं वो केवल हिन्दू हैं कोई नहीं देख रहा कि वो दलित है, पिछड़ा है या सवर्ण है केवल यह देखा जा रहा है कि हिंदू है।
आक्रमणकारी शत्रुओं द्वारा अब तक सैकड़ों बार हिंदुओं का नरसंहार और बलात धर्म परिवर्तन कराया गया जो अनवरत आज भी चल रहा है। राहुल गांधी सरीखे लोग हिंदुओं को हिंसक बताते हैं और उनके उत्पीड़न का आम खाकर जश्न मनाते हैं। बांग्लादेश का यह सत्ता परिवर्तन आने वाले समय में भारत के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बनने जा रहा है क्योंकि अब वहां जो सरकार बनी है या तथाकथित चुनावों के बाद बनेगी उसमें जमात -ए इस्लाम जैसे कट्टर आतंकवादी संगठन प्रभावी हो सकते हैं।
( मृत्युंजय दीक्षित, लेखक राजनीतिक जानकार व स्तंभकार हैं.)
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