Mahakumbh 2025: आज से कल्पवास की शुरूवात, क्या होते हैं इसके नियम, जानिए महत्व और लाभ

Mahakumbh 2025: सनातन धर्म के महान पर्व महाकुंभ की शुरुआत प्रयागराज के पवित्र त्रिवेणी संगम पर पौष पूर्णिमा के स्नान से हो गई है। इस अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों से आए करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे। संगम तट पर आध्यात्मिक एकता और भारतीय सांस्कृतिक विविधता का अनूठा दृश्य देखने को मिला।

स्नान के साथ ही माघ मास में होने वाले विशिष्ट धार्मिक अनुष्ठान *कल्पवास* का आरंभ भी हुआ। *पद्म पुराण* और महाभारत के अनुसार, माघ मास में संगम तट पर विधिपूर्वक कल्पवास करने से सौ वर्षों की तपस्या के बराबर पुण्यफल प्राप्त होता है। श्रद्धालुओं ने विधिवत पूजा-अर्चना के साथ केला, तुलसी और जौं का रोपण कर संयम और साधना से परिपूर्ण कल्पवास का संकल्प लिया।

कल्पवास का महत्व और परंपरा
माघ मास में कल्पवास को धर्मग्रंथों में अत्यधिक फलदायी बताया गया है। इस वर्ष 10 लाख से अधिक श्रद्धालु संगम तट पर एक माह तक कल्पवास का पालन करेंगे। तीर्थपुरोहित श्याम सुंदर पांडेय के अनुसार, कल्पवास का अर्थ है एक निश्चित समयावधि में संगम के पास निवास कर नियम, संयम और साधना का पालन करना।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक कल्पवास का विधान है। श्रद्धालु अपनी क्षमता के अनुसार तीन, पांच, ग्यारह या पूरे एक माह तक कल्पवास कर सकते हैं। बारह वर्षों तक लगातार कल्पवास करने वाले साधक महाकुंभ के अवसर पर इसका पारण करते हैं, जिसे मोक्षप्रदायक और विशेष पुण्यदायी माना गया है।

पद्म पुराण में वर्णित हैं 21 नियम
पद्म पुराण के अनुसार, भगवान दत्तात्रेय ने कल्पवास के 21 नियमों का उल्लेख किया है। इनमें गंगा स्नान, केवल एक समय फलाहार या सादा भोजन, दुर्व्यसनों का त्याग, सत्यवादिता, अहिंसा, इंद्रियों पर नियंत्रण, ब्रह्मचर्य, दान, जप, सत्संग और भूमि शयन जैसे नियम शामिल हैं। कल्पवासी इन नियमों का पूर्ण अनुशासन के साथ पालन करते हैं, जिससे उनकी आंतरिक और बाह्य शुद्धि होती है।

कल्पवास की विधि और संकल्प
पौष पूर्णिमा के दिन श्रद्धालुओं ने ब्रह्म मुहूर्त में संगम स्नान कर भगवान शालिग्राम और तुलसी की स्थापना की। इसके बाद तीर्थपुरोहितों की सहायता से श्रद्धालुओं ने गंगाजल और कुश लेकर कल्पवास का संकल्प लिया। टेंट के पास केले और जौं का रोपण किया गया, जो कि भगवान विष्णु और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है।

पूरे माघ मास तक कल्पवासी नियमपूर्वक गंगा स्नान, ध्यान, जप, सत्संग, संकीर्तन और देव पूजन करेंगे। इस दौरान साधु-संन्यासियों के सत्संग और भजन-कीर्तन का आयोजन भी किया जाएगा। कल्पवास का उद्देश्य मन को सांसारिक मोह से मुक्त कर आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर करना है।

संयम और साधना का महापर्व
महाकुंभ के इस पवित्र आयोजन में कल्पवास केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और मोक्ष की ओर एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। संगम तट पर जुटे श्रद्धालु भारतीय संस्कृति के इस अद्भुत पर्व को जीवनभर के लिए स्मरणीय बनाने में तल्लीन हैं।

Also Read: Mahakumbh 2025: अमेरिकन सोल्जर माइकल बन गए बाबा मोक्षपुरी, सनातन धर्म की शक्ति के हुए मुरीद

( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )