मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS), मुंबई की तीन छात्राएं महिला एवं बाल स्वास्थ्य मुद्दों पर दो माह के प्रशिक्षण के लिए गोरखपुर पहुंची हैं। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को दिशा देने और सफल बनाने में गृहविज्ञान विभाग, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, आईसीडीएस, डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम ऑफिसर और यूनिसेफ की महत्वपूर्ण भागीदारी है।
गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ के सहयोग से विश्वविद्यालय महिला एवं बाल स्वास्थ्य सुधार के लिए हर संभव प्रयास करेगा और भविष्य में इस दिशा में बेहतर योजनाएं बनाकर उनका क्रियान्वयन भी करेगा।
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महिला एवं बाल पोषण स्तर के अध्ययन और सुधार के उद्देश्य से टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई की तीन छात्राओं – अदिति अवस्थी (कानपुर, उत्तर प्रदेश), हरजोत संधू (पंजाब) और सास्वती दास (पश्चिम बंगाल) को इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए गोरखपुर भेजा गया है। यह प्रशिक्षण 24 मार्च से 16 मई, 2025 तक चलेगा।
इस दौरान छात्राएं महिलाओं और बच्चों के पोषण से संबंधित विशिष्ट विषयों पर कार्य करेंगी। वे गर्भवती और धात्री महिलाओं के पोषण स्तर, शिशु एवं बाल आहार संबंधी व्यवहार, पोषण जागरूकता कार्यक्रमों की प्रभावशीलता और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन का अध्ययन करेंगी।
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गृहविज्ञान विभाग, जो जिला पोषण समिति गोरखपुर का भी हिस्सा है, इस कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यूनिसेफ तकनीकी भागीदार के रूप में टीम को सहायता प्रदान करेगा और जिले में उनके शोध कार्य को समर्थन देगा। छात्राएं विश्वविद्यालय में रहकर गोरखपुर और आसपास के क्षेत्रों में महिला एवं बाल स्वास्थ्य की स्थिति का अध्ययन करेंगी और इस विषय से जुड़े अन्य शोध पहलुओं में गोरखपुर विश्वविद्यालय के साथ भविष्य में संभावित सहयोग की संभावनाएं तलाशेंगी।
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ ने गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति और गृहविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष से मार्गदर्शन प्राप्त करने और इस पहल को संस्थागत रूप देने के लिए एमओयू पर भी विचार करने की अपेक्षा की है।
गृहविज्ञान विभाग की प्रोफेसर दिव्या रानी सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय इन छात्राओं के शोध कार्य में हर संभव सहायता देने के लिए तत्पर है। वहीं, बाल विकास विभाग की प्रदेश निदेशक संदीप कौर ने छात्राओं के शोध में सहायता देने के लिए जिला कार्यक्रम अधिकारी, गोरखपुर को निर्देशित किया है।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से महिला एवं बाल पोषण में सुधार के प्रयासों को मजबूती मिलेगी। इससे न केवल गोरखपुर में स्वास्थ्य और पोषण संबंधी नीतियों के प्रभाव का विश्लेषण संभव होगा, बल्कि भविष्य में इस दिशा में प्रभावी रणनीतियां बनाने में भी मदद मिलेगी।
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