धर्मांतरण कांड: छागुंर बाबा पर बड़े खुलासे, माफिया अतीक अहमद से भी कनेक्शन, 2014 के चुनाव में दिया था घोड़ा

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गरीबपुर गांव से निकलकर करोड़ों की संपत्ति का मालिक बनने वाले जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा (Chaangur Baba) का सफर जितना रहस्यमयी है, उतना ही खतरनाक भी। साइकिल पर नग और अंगूठियां बेचने वाला ये मामूली युवक कैसे इतना ताकतवर बन गया, इसके पीछे का सच अब उजागर हो रहा है। हाल ही में सामने आई रिपोर्टों के अनुसार, छांगुर की कामयाबी के पीछे एक बड़ा नाम रहा, उत्तर प्रदेश का कुख्यात माफिया और पूर्व सांसद अतीक अहमद (Atiq Ahmed)।

 छागुंर का माफिया अतीक अहमद से कनेक्शन

बताया जा रहा है कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान छांगुर बाबा और अतीक अहमद की नजदीकियां बढ़ीं। उस वक्त अतीक समाजवादी पार्टी के टिकट पर श्रावस्ती से चुनाव लड़ रहा था, और छांगुर बाबा ने न सिर्फ उसका प्रचार किया, बल्कि मुस्लिम बहुल इलाकों में खुली जीप में अतीक के साथ घूमता भी नजर आया। बीजेपी नेता और श्रावस्ती के जिला पंचायत अध्यक्ष दद्दन मिश्रा का कहना है कि छांगुर ने चुनाव के हर स्तर पर अतीक की मदद की थी।

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नामांकन और घोड़े की कहानी

इस गठजोड़ की एक दिलचस्प घटना बलरामपुर कलेक्ट्रेट में घटी, जब अतीक ने चुनाव नामांकन के लिए छांगुर बाबा के घोड़े का इस्तेमाल किया। बताया जाता है कि अतीक इसी घोड़े पर सवार होकर नामांकन दाखिल करने गया और भाजपा समर्थकों के सामने शक्ति प्रदर्शन भी किया। ये घटना तब चर्चा में आई जब छांगुर बाबा की भूमिका पर सवाल उठने लगे।

मुंबई की राह और माफिया की मदद

चुनाव के बाद छांगुर ने मुंबई की ओर रुख किया, जहां उसके लिए रास्ते अतीक अहमद के गुर्गों ने आसान बनाए। वहीं से छांगुर की किस्मत पलटी। मुंबई से लौटते ही वह सेकेंड हैंड क्वालिस गाड़ी में आया और जमीन खरीदने लगा। इसके बाद उसने नीतू उर्फ नसरीन के साथ मिलकर धर्मांतरण का बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया, जिसका संचालन नेपाल बॉर्डर के करीब जिलों में किया जाने लगा।

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धर्मांतरण की ‘फैक्ट्री’ और विदेशी फंडिंग

धर्मांतरण के इस अवैध कारोबार को चलाने के लिए छांगुर ने विदेशी फंडिंग का सहारा लिया। जांच में पता चला कि उसके और उससे जुड़े लोगों के खातों में 100 करोड़ रुपये से अधिक के लेन-देन हुए हैं। ये रकम मदरसे, ज़मीन कब्जाने और जनसंख्या समीकरण बदलने के लिए इस्तेमाल की गई। खास बात यह है कि छांगुर बाबा खुद को एक सूफी संत बताकर मुस्लिम समुदाय में प्रभाव बनाने की कोशिश करता रहा।

जांच के घेरे में पूरा नेटवर्क

एटीएस ने अब छांगुर बाबा के इस नेटवर्क की गहन जांच शुरू कर दी है। खासकर नेपाल सीमा से लगे जिलों में बने मदरसों और विदेशी फंडिंग की जांच की जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि यह सिर्फ धर्मांतरण का मामला नहीं, बल्कि देश की सामाजिक और जनसांख्यिकीय संरचना को प्रभावित करने की बड़ी साजिश का हिस्सा है। यह मामला अब महज एक अपराधी के उदय की कहानी नहीं, बल्कि अपराध, राजनीति और मजहब के खतरनाक गठजोड़ का खुलासा करता है।

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