आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) ने कहा कि राज्य सरकार रिश्वतखोरी के आरोपों के ठोस सबूत प्राप्त किए बिना सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) के साथ बिजली खरीद समझौते को रद्द नहीं कर सकती है।
अडानी ग्रुप ने खारिज किए आरोप
यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी न्याय विभाग ने अडानी समूह पर वर्षों से भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने की योजना का आरोप लगाया है। इस कथित योजना का उद्देश्य आंध्र प्रदेश सहित अन्य स्थानों पर लाभकारी सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करना बताया गया। हालाँकि, अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।
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पुरानी सरकार पर आरोप और वाईएसआरसीपी की सफाई
पूर्व वाईएसआरसीपी शासन पर आरोप है कि अडानी समूह ने उनके अधिकारियों को 1,750 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए वाईएसआरसीपी ने कहा है कि यह समझौता पूरी तरह से राज्य सरकार, डिस्कॉम और एसईसीआई के बीच था, जिसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं थी।
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने भी इन आरोपों को खारिज किया। वहीं, आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) की अध्यक्ष वाईएस शर्मिला ने हाल ही में कहा कि वाईएसआरसीपी सरकार ने अडानी समूह से 2.49 रुपये प्रति यूनिट की दर पर 25 साल के लिए बिजली खरीदी, जबकि वही समूह गुजरात में 1.99 रुपये प्रति यूनिट की दर पर बिजली बेच रहा था। इसके चलते आंध्र प्रदेश के लोगों पर 1 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा।
नायडू का रुख: सबूतों पर आधारित कार्रवाई
मुख्यमंत्री नायडू ने कहा कि दस्तावेजी साक्ष्य प्राप्त करने के बाद ही वह कार्रवाई करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया, ‘मैं कभी भी राजनीतिक प्रतिशोध में शामिल नहीं होता। लेकिन अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे कितने भी प्रभावशाली क्यों न हों।’ उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि एमओयू को बिना सबूत रद्द किया जाता है, तो इससे कानूनी समस्याएँ और अनावश्यक जटिलताएँ पैदा हो सकती हैं।
एसईसीआई समझौते पर मुख्यमंत्री का तर्क
मुख्यमंत्री ने एसईसीआई के साथ समझौते को आंध्र प्रदेश के लिए फायदेमंद बताया। उन्होंने कहा कि राज्य बिजली वितरण कंपनियों ने एसईसीआई से 4,000 मिलियन यूनिट से अधिक बिजली खरीदने का निर्णय लिया है, जो अगले वित्त वर्ष तक 17,000 मिलियन यूनिट तक पहुँचेगा।
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