लखनऊ (Lucknow) और दिल्ली (Delhi) में अंसल एपीआई रीयल एस्टेट कंपनी (Ansal API Real Estate Company) के दो दर्जन से ज्यादा ठिकानों पर आयकर विभाग की चार दिन से चल रही छापेमारी में बड़ा खुलासा हुआ है। अधिकारियों के मुताबिक कंपनी के संचालकों ने पिछले एक दशक में 148 कंपनियां बनाई थीं, जिनमें से कई शेल कंपनियां थीं। इन कंपनियों के जरिए निवेशकों से जुटाई गई भारी-भरकम रकम को विदेश भेजा गया।
मनी ट्रेल की तलाश में जुटे अधिकारी
दिल्ली स्थित आयकर विभाग की जांच इकाई 8 (1) इन कंपनियों की मनी ट्रेल का पता लगाने में जुटी हुई है। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, विदेश भेजी गई रकम 1000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। छापे के दौरान अधिकारियों ने अंसल ग्रुप के निदेशकों और संचालकों से लगातार पूछताछ की गई है।
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शेल कंपनियों से की गई रकम की हेराफेरी
सूत्रों का कहना है कि इन शेल कंपनियों के माध्यम से रकम को एक-दूसरे खातों में डायवर्ट किया जाता था ताकि असली स्रोत को छुपाया जा सके। इसके बाद इन फंड्स को विदेशी खातों में ट्रांसफर किया गया और फिर वहां से रकम को दूसरी कंपनियों के जरिए भारत लाकर संपत्तियां खरीदी गईं।
दो करोड़ के जेवर बरामद
छापेमारी के दौरान अधिकारियों को ठिकानों से उम्मीद के मुताबिक नकदी नहीं मिली। केवल 10 लाख रुपये नकद बरामद हुए, जिन्हें जब्त नहीं किया गया है। वहीं, करीब दो करोड़ रुपये मूल्य के जेवरात जरूर मिले हैं, जिनका मूल्यांकन कर उन्हें वापस कर दिया गया है।
दिवालिया कंपनी, रिसीवर के कारण खाली हाथ
अंसल एपीआई के दिवालिया घोषित होने के बाद एनसीएलटी ने कंपनी के लिए एक रिसीवर नियुक्त किया है, जो अब कंपनी की संपत्तियों और देनदारियों का प्रबंधन कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इस वजह से कंपनी के बैंक खातों से भी कोई खास नकदी बरामद नहीं हुई है। फिलहाल, केवल टाउनशिप की देखरेख के लिए जमा की गई राशि ही खातों में पाई गई है।आयकर विभाग की यह छापेमारी शनिवार को भी जारी रहने की संभावना है। जांच एजेंसियां अब इन 148 कंपनियों और विदेशी ट्रांजेक्शनों की विस्तृत पड़ताल कर रही हैं।
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