जनसंख्या नियंत्रण कानून के बिना देश में रामराज्य स्थापित करना नामुमकिन है: अश्विनी उपाध्याय

बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने देश में तेजी से बढ़ रही जनसँख्या पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए जनसँख्या नियंत्रण क़ानून बनाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून के बिना देश में रामराज्य स्थापित करना नामुमकिन है. दरअसल उपाध्याय ने जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर मुहिम शुरू की है, इसके मसौदे पर वह देश भर के कई सांसदों से हस्ताक्षर करा चुके हैं ताकि सरकार पर जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर दबाव बनाया जा सके. उपाध्याय शुक्रवार को जनसँख्या नियंत्रण फाउंडेशन की तरफ से आयोजित कार्यक्रम ‘जन संसद’ में शिरकत करने पहुंचे थे, उस दौरान ही उन्होंने ये बातें कहीं.


अश्विनी उपाध्याय के मुताबिक अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में गठित जस्टिस वेंकटचलैया आयोग ने कई सिफारिशों की थीं, जिसके आधार पर पिछली यूपीए सरकार ने मनरेगा, खाद्य सुरक्षा का अधिकार जैसी कई योजनाएं शुरू कीं, मगर उसमें सबसे प्रमुख जनसंख्या नियंत्रण कानून की सिफारिश को दरकिनार कर दिया गया. ऐसे में मौजूदा सरकार को संसद के इसी सत्र में जनसंख्या नियंत्रण कानून पर पहल करनी चाहिए. उपाध्याय का कहना है कि इस कानून में ऐसी ताकत है, जिससे देश में मौजूद हर छोटी से बड़ी समस्या हमेशा के लिए खत्म हो सकती है. अगर आज अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत की तमाम मानकों में रैकिंग खराब है तो उसके पीछे भी जनसंख्या विस्फोट ही है. उपाध्याय का तर्क है कि जब तक दो करोड़ बेघरों को घर दिया जायेगा तब तक 10करोड़ बेघर और पैदा हो जायेंगे. इसलिए एक नया कानून ड्राफ्ट करने में समय खराब करने की बजाय चीन के जनसंख्या नियंत्रण कानून में ही आवश्यक संशोधन कर उसे वर्तमान संसद सत्र में ही लोकसभा में पेश करना चाहिए. 


जनसंख्या नियंत्रण रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हजारों साल पहले भगवान राम तथा उनके भाई लक्षमण, भरत और शत्रुघन ने स्वयं हम दो-हमारे दो का पालन किया था जबकि उस समय जनसंख्या की समस्या इतनी खतरनाक नहीं थी और वर्तमान समय में तो जनसंख्या विस्फोट बम विस्फोट से भी अधिक खतरनाक है. उपाध्याय इसके पहले जनसंख्या नियंत्रण के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका भी दाखिल कर चुके हैं.


पश्चिम उत्तर प्रदेश से आये करीब पांच हजार लोगों को संबोधित करते हुए उपाध्याय ने कहा कि हमारे देश की जनसंख्या सवा सौ करोड़ नहीं बल्कि डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा है. और हम चीन से बहुत आगे निकल चुके हैं. उन्होंने कहा कि देश में 122 करोड़ लोगों के पास आधार है, लगभग 20 प्रतिशत अर्थात 25 करोड़ लोग बिना आधार के हैं और तथा लगभग 5 करोड़ बंगलादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिये अवैध रूप से रहते हैं. भारत की कृषि योग्य भूमि दुनिया की मात्र 2 प्रतिशथ है, पीने योग्य पानी मात्र 4 प्रतिशत है और जनसंख्या दुनिया की 20 फीसद है. उन्होंने कहा कि यदि चीन से तुलना करें तो भारत का क्षेत्रफल चीन का लगभग एक तिहाई है और जनसंख्या वृद्धि की दर चीन की तीन गुना है. चीन में प्रति मिनट 11 बच्चे पैदा होते हैं और भारत में प्रति मिनट 33 बच्चे पैदा होते हैं.


उपाध्याय ने कहा कि अंतराष्ट्रीय रैंकिंग में भारत की दयनीय स्थिति का मुख्य कारण भी जनसंख्या विस्फोट है, ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हम 103 वें स्थान पर, आत्महत्या के मामले में 43वें स्थान पर, साक्षरता दर में 168वें स्थान पर, वर्ल्ड हैपिनेस इंडेक्स में 133वें स्थान पर, ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में 130वें स्थान पर, सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स में 93वें स्थान पर, यूथ डेवलपमेंट इंडेक्स में 134वें स्थान पर, होमलेस इंडेक्स में 8वें स्थान पर, लिंग असमानता में 125वें स्थान पर, न्यूनतम वेतन में 124वें स्थान पर, रोजगार दर में 42वें स्थान पर, क्वालिटी ऑफ़ लाइफ इंडेक्स में 43वें स्थान पर, फाइनेंसियल डेवलपमेंट इंडेक्स में 51वें स्थान पर, करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में 79वें स्थान पर, रूल ऑफ़ लॉ इंडेक्स में 66वें स्थान पर, एनवायरनमेंट परफॉरमेंस इंडेक्स में 177वें स्थान पर तथा पर कैपिटा जीडीपी में 139वें स्थान पर हैं लेकिन जमीन से पानी निकालने के मामले में हम दुनिया में पहले स्थान पर हैं, जबकि हमारे पास कृषि योग्य भूमि दुनिया की मात्र 2 % तथा पीने योग्य पानी मात्र 4% है.


उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ही अटल सरकार द्वारा बनाये गए संविधान समीक्षा आयोग (जस्टिस वेंकटचलैया आयोग) ने 2002 में संविधान में आर्टिकल 47A जोड़ने और एक प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था जिसे आजतक लागू नहीं किया गया.  उपाध्याय ने कहा कि अबतक 124 बार संविधान संशोधन हो चुका है, 2 बार सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी बदला जा चुका है, सैकड़ों नए कानून बनाये गए लेकिन देश के लिए सबसे ज्यादा जरुरी जनसंख्या नियंत्रण कानून आज तक नहीं बनाया गया, जबकि इससे देश की 50 प्रतिशत से अधिक समस्याओं का समाधान हो जाएगा.


इस मौके पर जनसंख्या समाधान फाउंडेशन के अध्यक्ष अनिल चौधरी, राष्ट्रीय संयोजक ममता सहगल डा. हरपाल सिंह, सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत पटेल, अमरदत्त शर्मा, प्रदीप चौधरी, सर्वेश शर्मा, अतुल कुमार जैन, डॉक्टर अलका सैनी आदि मौजूद रहे.


Also Read: यदि जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बना तो होगा गृहयुद्ध: गिरिराज सिंह


( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )