बिहार राज्य स्वास्थ्य विभाग (Bihar Health Department) की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) के आदेश के बावजूद, बिहार हेल्थ सोसाइटी ने 24 मार्च को दिए गए आदेश को नजरअंदाज कर दिया है। कोर्ट ने पैथोलॉजी सेवाओं (pathology services ) के लिए 11 नवंबर को जारी किए गए वर्क ऑर्डर को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद, हिंदुस्तान वेलनेस कंपनी और उसके साझेदार खन्ना लैब का संचालन जारी है।
हिंदुस्तान वेलनेस का ऑपरेशन जारी
हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि इन कंपनियों के साथ किए गए अनुबंध को रद्द किया जाए, लेकिन तीन दिन बाद भी इन कंपनियों के द्वारा काम जारी है। पटना के कई सरकारी अस्पतालों में ये कंपनियां पैथोलॉजी टेस्ट कर रही हैं और रिपोर्ट भी जारी कर रही हैं, जो कि आदेश की खुली अवहेलना है।
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हाई कोर्ट ने नियमों की अनदेखी पर जताई चिंता
पटना हाई कोर्ट ने बिहार स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की। अदालत ने पाया कि हिंदुस्तान वेलनेस और खन्ना लैब को बिना कंसोर्टियम के गठन के ही वर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया था। कोर्ट ने विभाग को एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। इसके अलावा, कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि विभाग ने जल्दबाजी में यह फैसला लिया, और इस मामले में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
साइंस हाउस और पीओसीटी की याचिका पर सुनवाई
साइंस हाउस नामक कंपनी ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने हिंदुस्तान वेलनेस और खन्ना लैब के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की थी। पीओसीटी कंपनी ने भी टेंडर में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए अदालत से हस्तक्षेप की अपील की थी। इन दोनों याचिकाओं पर अभी सुनवाई जारी है।
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स्वास्थ्य सेवा में पारदर्शिता की कमी
बिहार स्वास्थ्य विभाग द्वारा अक्टूबर 2024 में जारी की गई नई निविदा विवादों से घिरी रही। शुरुआत में साइंस हाउस को एल वन (विजेता) घोषित किया गया था, लेकिन वित्तीय निविदा में गड़बड़ी पाए जाने के कारण उसका दावा खारिज कर दिया गया। इसके बाद, हिंदुस्तान वेलनेस और खन्ना लैब को विजेता घोषित कर दिया गया, हालांकि इन कंपनियों के कंसोर्टियम की तकनीकी शर्तों का पालन नहीं किया गया था।
साइंस हाउस और पीओसीटी की याचिका पर सुनवाई
साइंस हाउस नामक कंपनी ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने हिंदुस्तान वेलनेस और खन्ना लैब के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की थी। पीओसीटी कंपनी ने भी टेंडर में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए अदालत से हस्तक्षेप की अपील की थी। इन दोनों याचिकाओं पर अभी सुनवाई जारी है।
स्वास्थ्य सेवा में पारदर्शिता की कमी
बिहार स्वास्थ्य विभाग द्वारा अक्टूबर 2024 में जारी की गई नई निविदा विवादों से घिरी रही। शुरुआत में साइंस हाउस को एल वन (विजेता) घोषित किया गया था, लेकिन वित्तीय निविदा में गड़बड़ी पाए जाने के कारण उसका दावा खारिज कर दिया गया। इसके बाद, हिंदुस्तान वेलनेस और खन्ना लैब को विजेता घोषित कर दिया गया, हालांकि इन कंपनियों के कंसोर्टियम की तकनीकी शर्तों का पालन नहीं किया गया था।
कोर्ट का आदेश और विभाग की लापरवाही
पटना हाई कोर्ट ने 24 जनवरी को राज्य सरकार को यह निर्देश दिया था कि किसी नई कंपनी को कोई जिम्मेदारी न दी जाए, लेकिन विभाग ने इस आदेश का पालन नहीं किया। हिंदुस्तान वेलनेस ने अपना काम जारी रखा, जबकि कोर्ट का स्पष्ट आदेश था कि स्थिति को यथावत रखा जाए।
अगली सुनवाई की तारीख
इस मामले की अगली सुनवाई अप्रैल के पहले सप्ताह में होने की संभावना है, जहां पटना हाई कोर्ट यह तय करेगा कि आगे की कानूनी कार्रवाई क्या होगी। यह मामला राज्य सरकार की निष्क्रियता और स्वास्थ्य सेवा में पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है।