Bike Boat Scam: एडवोकेट अनूप त्रिवेदी की शानदार जिरह से मुख्य अभियुक्त को मिली जमानत

उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित बाइक बोट स्कैम (Bike Boat Scam) मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार सपा नेता दिनेश गुर्जर (Dinesh Gujjar) को कोर्ट से जमानत मिल गई है। सपा नेता ने जमानत के लिए कोर्ट में अर्जी दी थी। मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी (Senior Adovacte Anoop Trivedi) की शानदार जिरह और दलीलों के बाद जस्टिस संजय कुमार सिंह की कोर्ट ने दिनेश गुर्जर के पक्ष में निर्णय सुनाया है। वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी की जिरह से जस्टिस काफी प्रभावित हुए। उन्हें अनूप त्रिवेदी की जिरह काफी पंसद आई।

दिनेश गुर्जर पर लगा था ये आरोप

दरअसल, बाइक बोट स्कैम मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने 22 जुलाई 2023 को पीएमएलए एक्ट, 2002 (मनी लॉन्ड्रिंग) के तहत गिरफ्तार किया था। सपा नेता दिनेश गुर्जर की गिरफ्तार के संबंध में ईडी ने एक प्रेस नोट भी जारी किया था। ईडी द्वारा जारी प्रेस नोट के मुताबिक, दिनेश गुर्जर बाइक बोट घोटाले के आरोपियों से संपर्क करके उनके खिलाफ चल रही ईडी जांच को रफा-दफा करने का झूठा वायदा कर वसूली कर रहे थे।

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बता दें कि दिनेश गुर्जर बुलंदशहर जनपद के गुलावठी क्षेत्र के रहने वाले हैं। वह लंबे समय से नोएडा, गाजियाबाद और बुलंदशहर की पॉलिटिक्स में एक्टिव हैं। उनकी पत्नी बुलंदशहर की जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। समाजवादी पार्टी में उनके परिवार का बड़ा कद है। वह मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाते थे। वहीं, अब उन्हें शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव का भी करीबी माना जाता है।

क्या है बाइक बॉट स्कैम

आसान शब्दों में कहें तो लोगों को ऐसी बाइक में इन्वेस्ट करने को कहा गया था, जिनका यूज दोपहिया टैक्सी के तौर पर किया जाना था, लेकिन यह सब फ्रॉड निकला।निवेशकों को प्रति बाइक 62,100 रुपए निवेश करने के लिए कहा गया था। कंपनी ने 5175 रुपए प्रति महीने की ईएमआई और 4590 रुपए प्रति महीने की रेंटल फिक्स की थी। कागज पर तो ये एक बहुत अच्छा आईडिया था- एप पर आधारित बाइक टैक्सी, ताकि नोएडा-गाजियाबाद से लेकर मेरठ-बागपत जैसे जगहों पर भी लोग वहाँ भी बहुत ही आसानी से पहुंच सके, जहां चार पहिया नहीं जा सकतीं या फिर यातायात ज्यादा हो।

कंपनी का नाम रखा गया था ‘बाइकबोट’, जिसके पीछे एक महिला थी जिसने निवेशकों के साथ 15,000 करोड़ रुपएकी धोखाधड़ी की। आज उत्तर प्रदेश के मोस्ट वॉन्टेड अपराधियों में उसका नाम शुमार है, जो फरार है। दीप्ति बहल बागपत के एक कॉलेज की प्रिंसिपल थी और गाजियाबाद के लोनी में रहती थी। उसका पति संजय भाटी अपने रिश्तेदारों के साथ मिल कर ‘गर्वित इनोवेशंस प्रमोटर्स लिमिटेड (GIPL)’ नामक रियल एस्टेट कंपनी चलाता था। 2010 में दोनों इस कंपनी के डायरेक्टर बने थे। दावा किया जाता है कि 2017 में महिला ने कंपनी से इस्तीफा देकर ‘बाइक’ की शुरुआत की। कंपनी ने प्रत्येक बाइक पर 5% मासिक रेंटल इनकम का वादा किया था।

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कंपनी ने निवेशकों को भरोसा दिलाने के लिए उनके साथ करारों पर भी हस्ताक्षर किया, वादा किया कि उनके पैसे सुरक्षित हैं। अगस्त 2017 में ये योजना शुरू हुई और 2019 की शुरुआत तक ये चला। नवंबर 2018 में कंपनी ई-बाइक्स की नई स्कीम लेकर आई, जिसमें पेट्रोल बाइक्स के मुकाबले सब्सक्रिप्शन की राशि दोगुनी कर दी गई। 2019 में बड़ी संख्या में निवेशकों ने पुलिस में शिकायत करते हुए कहा कि उनसे जो रिटर्न देने का वादा किया गया था अब वो मिलने बंद हो गए हैं।

2019 में सूरजपुर स्थित अदालत में संजय भाटी ने तो आत्मसमर्पण कर दिया, लेकिन दीप्ति अभी तक फरार है। लाखों लोगों को 4500 करोड़ रुपए का चूना लगा और 250 केस दर्ज किए गए। इससे पहले जाँच एजेंसियों ने 15,000 करोड़ रुपए के घोटाले की बात कही थी। दीप्ति के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी है। शक है कि वो विदेश भाग गई है। ईडी ने इस मामले में 103 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति जब्त की है।

दीप्ति और उसके पति ने मिल कर इससे पहले भी कई पोंजी स्कीम चलाई थी। इनमें जिनका पैसा डूबा था, ‘बाइकबोट’ स्कैम में से कुछ पैसे उन्हें दिए गए। इसमें कुल्लू में एक रिजॉर्ट भी शामिल था। लोगों को लगा कि प्रतिवर्ष लगभग 1.7 लाख रुपए उन्हें मिलेंगे और एक बार निवेश करने पर उनके पास आय का अच्छा साधन हो जाएगा। लेकिन ऐसे लाखों लोगों के साथ खेल हो गया।

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