उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) के दौरान भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच जोरदार घमासान देखने को मिल रहा है. इस बीच आज सपा प्रमुख और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट (Karhal constituency) से अपना पर्चा दाखिल किया. इसके कुछ देर बाद भाजपा की तरफ से केंद्रीय मंत्री और आगरा के सांसद एसपी सिंह बघेल (BJP MP SP Singh Baghel) ने भी नामांकन कर दिया है. इसके साथ साफ हो गया है कि भाजपा ने सपा प्रमुख को घेरने के लिए अपने सांसद पर दांव खेला है. इसके अलावा यह भी तय हो गया है कि यूपी की राजनीति में करहल विधानसभा क्षेत्र अब जंग का मैदान बना रहेगा. दिलचस्प बात ये है कि बघेल देश के पूर्व रक्षा मंत्री रहे मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की सुरक्षा में तैनात रह चुके हैं.
प्रो. एसपी सिंह बघेल उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के भटपुरा के मूल निवासी हैं. इनके पिता रामभरोसे सिंह मध्य प्रदेश पुलिस में नौकरी करते थे. एसपी सिंह बघेल का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित यशवंतराव होल्कर अस्पताल में हुआ. उन्होंने स्कूल से लेकर कॉलेज तक की पढ़ाई मध्यप्रदेश से की. इसके बाद यूपी पुलिस में उनकी नौकरी लग गई. एसपी सिंह बघेल को पहली अहम जिम्मेदारी तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का सुरक्षागार्ड बनने की मिली.
1989 में पहली बार बने MLA
यूपी पुलिस (UP Police) में बतौर सब इंस्पेक्टर अपनी प्रोफेशनल लाइफ की शुरुआत करने वाले एसपी सिंह बघेल मौजूदा समय में सियासत की दुनिया में बड़ा नाम है. एसपी सिंह बघेल को उत्तर प्रदेश पुलिस में रहते हुए मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा करने का मौका मिला. 1989 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद बघेल मुलायम सिंह यादव के सुरक्षा में शामिल किए गए. उन्होंने अपनी मेहनत और ईमानदारी के बल पर मुलायम सिंह यादव का भी दिल जीत लिया. मुलायम सिंह यादव ने उनको जलेसर सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर 1998 में पहली बार उतारा और वह जीते. उसके बाद दो बार सांसद चुने गए. 2010 में बसपा ने उन्हें राज्यसभा में भेजा.
आगरा से बने सांसद
आठ वर्ष पहले एसपी सिंह बघेल भाजपा में शामिल हो गए. भाजपा ने उन्हें पिछड़ा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया. बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के स्टार प्रचार के रूप में भूमिका निभाई. इसके बाद यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में टूंडला सुरक्षित सीट से भाजपा विधायक बने. इसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम में शामिल किया गया. कैबिनेट मिनिस्टर बनने के बाद एसपी सिंह बघेल का राजनैतिक जीवन फिर चमकने लगा. इसके बाद एक बार फिर आगरा से उन्हें भाजपा ने मौका दिया, तो यहां से भी प्रो. एसपी सिंह बघेल ने बड़ी जीत दर्ज की.
करहल विधानसभा सीट पर सपा का दबदबा
मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट खास है. सोबरन सिंह यादव लगातार 4 बार से करहल से विधायक हैं. साल 1993 से लेकर आज तक सिर्फ एक बार साल 2002 में यहां सपा को हार का मुंह देखना पड़ा था. समाजवादी पार्टी के बाबूराम यादव साल 1993 और 1996 में करहल से चुनाव जीते. साल 2002 में सोबरन ही भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते. साल 2007 में सपा ने फिर से वापसी की और सोबरन सिंह ही साइकिल के सिंबल पर विधायक बने. वहीं, साल 2017 में भी भाजपा अपनी लहर होने के बावजूद सोबरन सिंह यादव का किला नहीं भेद पाई और वह चौथी बार करहल के विधायक बने. उन्होंने भाजपा की रमा शाक्य को पटखनी दी थी. करहल विधानसभा में साल 2017 में कुल 49.57 फीसदी वोट पड़े थे. सोबरन सिंह यादव को यहां 1 लाख 4 हजार 221 वोट मिले थे. वहीं, भाजपा की रमा शाक्य को 65 हजार 816 वोट मिले थे. जबकि 29 हजार 676 वोट बीएसपी के दलवीर सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे.
करहल में क्या हैं जातीय समीकरण
करहल विधानसभा में करीब 3 लाख 71 हजार वोटर हैं. इसमें यादव वोटरों की संख्या लगभग 1 लाख 44 हजार है, जो कि कुल मतों का 38 फीसदी बैठता है. जबकि 14183 वोटर मुस्लिम हैं. इसके अलावा शाक्य (34946), ठाकुर (24737), ब्राह्मण (14300), लोधी 10833) और जाटव (33688) वोटर्स का भी दबदबा है.
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