‘अदाणी ने आपको छोड़ा, आपने नहीं, उनके जाने से दुनिया में गलत मैसेज गया…’, श्रीलंकाई सांसद ने अपनी ही सरकार को खूब सुनाया

अदाणी ग्रीन एनर्जी (Adani Green Energy) के श्रीलंका में अपने प्रस्तावित दो विंड एनर्जी प्रोजेक्ट्स को छोड़ने के फैसले ने देश में राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। श्रीलंकाई सांसद मनो गणेशन (MP Mano Ganesan) ने इस मुद्दे पर अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया और संसद में तीखी प्रतिक्रिया दी।

अदाणी ने आपको छोड़ा, आपने नहीं

गणेशन ने संसद में कहा, ‘अदाणी के इस फैसले से दुनिया को गलत संकेत गया है। सच्चाई यह है कि आपने अदाणी को नहीं छोड़ा, बल्कि अडानी ने आपको छोड़ दिया!’ उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मूल्य निर्धारण को लेकर कोई समस्या थी, तो उसे आपसी बातचीत से हल किया जा सकता था।

एफडीआई पर पड़ सकता है असर

गणेशन ने चेतावनी दी कि अदाणी ग्रीन एनर्जी के इस फैसले से श्रीलंका में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर बुरा असर पड़ सकता है। उन्होंने राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके (AKD) से सवाल किया कि ‘आप यूएई गए और लौट आए, लेकिन क्या वहां से कोई निवेश आया?’

उन्होंने कहा कि विदेशी निवेशक तभी आएंगे जब उन्हें भारतीय भागीदार मिलेंगे। सांसद ने कहा कि भारत के साथ ग्रिड कनेक्टिविटी के जरिए ऊर्जा निर्यात से श्रीलंका को बड़ा राजस्व मिल सकता था, लेकिन सरकार ने इस महत्वपूर्ण अवसर को गंवा दिया।

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श्रीलंका में कहां बन रहे थे ये प्रोजेक्ट?

अदाणी ग्रीन एनर्जी ने श्रीलंका में 484 मेगावाट के दो विंड एनर्जी प्रोजेक्ट्स मन्नार और पूनरी कोस्टल एरिया में लगाने की योजना बनाई थी। लेकिन हाल ही में कंपनी ने सरकार को नोटिस भेजकर इन प्रोजेक्ट्स से हटने की जानकारी दी।

प्रोजेक्ट से पीछे हटने की वजह क्या?

श्रीलंका ने 2022 के आर्थिक संकट के दौरान गंभीर बिजली कटौती और ईंधन की कमी का सामना किया था। इसके बाद सरकार ने महंगे आयातित ईंधन पर निर्भरता घटाने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को प्राथमिकता दी। मई 2024 में श्रीलंका सरकार ने अदाणी विंड एनर्जी से 0.0826 डॉलर प्रति किलोवाट की दर से बिजली खरीदने का समझौता किया था। लेकिन स्थानीय समूहों ने इस डील का विरोध किया, उनका मानना था कि छोटे नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स इससे कम लागत पर बिजली दे सकते हैं।

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क्या भविष्य में श्रीलंका-अदाणी में फिर होगा समझौता?

अदाणी ग्रुप ने अपने नोट में कहा कि हम श्रीलंका के लिए प्रतिबद्ध हैं और अगर श्रीलंकाई सरकार चाहे तो भविष्य में सहयोग के लिए तैयार हैं।

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