Supertech ट्विन टावर मामले में CM योगी का बड़ा एक्शन, जांच के लिए गठित की SIT, नोएडा अथॉरिटी में 2004 से 2012 तक तैनात अधिकारियों की होगी जांच

सुपरटेक एमरॉल्‍ड कोर्ट प्रोजेक्‍ट (Supertech twin tower case) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के आदेश के बाद मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ (Yogi Adityanath) ने भी सख्‍त रुख अपनाया है. सीएम योगी ने  सुपरटेक एमरॉल्‍ड कोर्ट प्रोजेक्‍ट के ट्विन टावरों के निर्माण में नियमों की अनदेखी के आरोपी अधिकारियों के खिलाफ जांच के लिए शासन स्तर पर एसआईटी गठित करने के निर्देश दिए हैं. सीएम ने 2004 से 2017 तक इस प्रकरण से जुड़े रहे प्राधिकरण के अफसरों की सूची बनाकर जवाबदेही तय करने और समयबद्ध सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. वहीं जांच में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने के भी आदेश दिए हैं. इसके अलावा सीएम ने नोएडा प्राधिकरण को सुपरटेक बिल्डर के खिलाफ भी कार्रवाई का निर्देश दिया है.


सीएम योगी ने कहा कि नोएडा के सुपरटेक एमरल्ड कोर्ट बिल्डर के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए. अनियमितताओं का यह प्रकरण 2004 से लगातार चलता रहा है. शासन स्तर से विशेष जांच समिAति गठित कर उक्त प्रकरण की गहन जांच कराई जानी चाहिए. एक-एक दोषी अधिकारी के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी. आवश्यकतानुसार आपराधिक केस भी दर्ज किया जाए. इस संबंध में तत्काल कार्यवाही की जाए.


सुपरटेक कंपनी को बड़ा झटका


दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रियल स्टेट कंपनी सुपरटेक को बड़ा झटका देते हुए कंपनी के नोएडा स्थित एमरल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के अपैक्स एंड स्यान यावे-16 और 17 को अवैध ठहराया और दोनों 40 मंजिला टावरों को ढहाने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को फ्लैट खरीदारों को ब्याज के साथ पैसे वापस करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लगभग 1,000 फ्लैटों वाले ट्विन टावरों (Twin Tower) के निर्माण में नियमों का उल्लंघन किया गया. कंपनी को अपनी लागत से ही 2 महीने की अवधि में इन्हें तोड़ना होगा. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) को टावरों को गिराने का आदेश दिया है, ताकि सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जा सके.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोएडा में ट्विन टावरों के सभी फ्लैट मालिकों को 12 फीसदी ब्याज के साथ पैसे वापस किए जाएं. कोर्ट ने बिल्डर को रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को 2 करोड़ रुपए का भुगतान करने का भी निर्देश दिया है. पीठ ने पाया कि मानदंडों के उल्लंघन में नोएडा अथॉरिटी और बिल्डर में मिलीगत थी. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह ने इस मामले की सुनवाई की. बता दें कि वर्ष 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इन टावर्स को गिराने का निर्देश दिया था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने भी सही माना है.


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