8 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 (Delhi Election 2025) के नतीजे घोषित हुए, लेकिन चुनावी विश्लेषण और वोट शेयर को लेकर अब भी चर्चाएं जारी हैं। बीजेपी (BJP) ने 48 सीटें जीतकर सत्ता हासिल की, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) को 22 सीटें मिलीं। हालांकि, दोनों पार्टियों के वोट शेयर में केवल 3% का अंतर था। सवाल उठता है कि इतने छोटे अंतर से सीटों में इतना बड़ा फासला कैसे आया?
क्या कांग्रेस-AAP गठबंधन से रुक सकती थी बीजेपी?
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि AAP (43.57%) और कांग्रेस (6.34%) ने मिलकर चुनाव लड़ा होता, तो उनका कुल वोट शेयर 49.9% होता, जो बीजेपी के 45.56% से 2.7% अधिक था। इस तर्क के आधार पर विपक्षी गठबंधन बीजेपी को रोक सकता था। लेकिन क्या यह सच में इतना सीधा गणित है?
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बीजेपी के बढ़ते वोट शेयर और AAP की गिरावट
बीजेपी ने पिछले तीन दशकों में पहली बार इतनी मजबूत पकड़ बनाई है।
- 2015 में: बीजेपी का वोट शेयर 32% था।
- 2020 में: यह बढ़कर 38% हुआ।
- 2025 में: बीजेपी ने 45.56% वोट हासिल किए।
- इसके उलट आप का वोट शेयर 2020 में 53.57% था, जो अब घटकर 43.57% रह गया है—यानी 10% की भारी गिरावट।
कांग्रेस के वोट बढ़े, लेकिन निर्णायक कारक नहीं बने
कांग्रेस ने 2020 में 4.26% वोट हासिल किए थे, जो इस बार बढ़कर 6.34% हो गए। हालांकि, मात्र 2% की बढ़त चुनावी नतीजों को बदलने के लिए पर्याप्त नहीं थी।
बीजेपी ने कैसे बनाया नया वोट बैंक?
बीजेपी ने अपने पारंपरिक संघ (RSS) और कट्टर समर्थकों के अलावा नए समुदायों को भी अपने पक्ष में किया।
- बिहारी और पूर्वांचली मतदाता (झुग्गी-झोपड़ी और अनधिकृत कॉलोनियों से)
- गुर्जर और जाट मतदाता (पुरानी दिल्ली और बाहरी इलाकों से)
बीजेपी ने हरियाणा, बिहार और पूर्वांचल से हजारों कार्यकर्ताओं को दिल्ली में प्रचार के लिए बुलाया, जिन्होंने स्थानीय भाषा (हरियाणवी, भोजपुरी और मगही) में वोटरों से संवाद किया और AAP के शहरी वोट बैंक को तोड़ा।
लोकल मुद्दे जिन्होंने AAP को किया कमजोर
दिल्ली की जनता को बीते सालों में कई प्रशासनिक विफलताएं देखने को मिलीं, जिनका असर चुनाव परिणामों पर पड़ा—
- वायु प्रदूषण संकट (अक्टूबर-नवंबर में दिल्ली का दम घुटना)
- यमुना सफाई का वादा (2013, 2015 और 2020 में अधूरा रहा)
- सरकारी स्कूलों और मोहल्ला क्लीनिकों की हकीकत वायरल वीडियो में उजागर हुई
- महिलाओं को 2,100 रुपए प्रतिमाह देने की योजना, लेकिन बैंक डिटेल्स तक नहीं ली गईं
- भारी बारिश से जलभराव और ट्रैफिक की समस्या
- शीला दीक्षित के फ्लाईओवर जैसे बड़े विकास कार्यों की कमी
- क्या भ्रष्टाचार के आरोप बने AAP के लिए अंतिम झटका?
लोकनीति-सीएसडीएस (CSDS) के एक अध्ययन के अनुसार, दिल्ली में आधे से ज्यादा लोग AAP सरकार को भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी मानते हैं।
- मुख्यमंत्री आवास पर ‘शीशमहल’ विवाद
- शराब नीति घोटाले पर जनता का बंटा हुआ मत
यही नहीं, अरविंद केजरीवाल की बयानबाज़ी ने भी नुकसान पहुंचाया। उनके “इस जन्म में हमें कोई नहीं हरा सकता” और “दिल्ली का मालिक” जैसे बयान बीजेपी के प्रचार अभियान के लिए हथियार बन गए।
तो आखिर कैसे सिर्फ 3% वोट शेयर से बीजेपी ने AAP को 26 सीटों से पीछे छोड़ा?
दिल्ली चुनाव बेहद करीबी था, लेकिन एक “फेंस-सिटर” वोटर” ने बीजेपी को निर्णायक बढ़त दिला दी। बीजेपी ने अपने पुराने वोट बैंक को बचाए रखा और AAP से नाराज मतदाताओं को अपनी तरफ खींच लिया। नतीजा? AAP का पतन और बीजेपी की जीत।
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