UP: विपक्ष की मांग पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा- मैं और BJP के बड़े नेता भी चाहते हैं जातीय जनगणना, लेकिन…

उत्तर प्रदेश में जातीय जनगणना (Caste Census) के मुद्दे पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने समाजवादी पार्टी को आड़े हाथ लिया है। उन्होंने कहा कि सपा को अब पिछड़ों की याद आ रही है, जब वह सत्ता से बेदखल हो गए। जाति के नाम पर सत्ता में रहते हुए न्याय नहीं किया और अब जातीय जनगणना की बात कर रहे हैं। डिप्टी सीएम ने कहा कि समाजवादी पार्टी इसको इसलिए उठा रही है, क्योंकि 2024 में उनके पास कोई मुद्दा नहीं है।

सदन में सपा-भाजपा के बीच हुई तीखी नोकझोंक

इस दौरान उन्होंने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि 2017 का चुनाव हारे, 2019 का चुनाव हारे, 2022 का चुनाव हारे, 2024 हारने जा रहे हैं। इस समय यूपी विधान मंडल का शीतकालीन सत्र चल रहा है। बुधवार को विधान परिषद में जातीय जनगणना के सवाल पर भाजपा और सपा के सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। यही नहीं, इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने विधान परिषद से वॉकआउट कर दिया था।

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जातीय जनगणना के समर्थन में बीजेपी के वरिष्ठ नेता 

वहीं, अब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि बीजेपी जातीय जनगणना के खिलाफ नहीं है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और वह खुद जातीय जनगणना के समर्थन में हैं। लेकिन जातिवार जनगणना कराना केंद्र सरकार सरकार का मामला है। उन्होंने कहा कि सपा दलित विरोधी, गरीब विरोधी और पिछड़ा विरोधी है। जब 80 की 80 सीटों पर बीजेपी जीतेगी तब इनका हाजमा ठीक होगा

सपा का पीडीए फॉर्म्यूला

दरअसल, उत्तर प्रदेश में अपना खोया जनाधार वापस लाने में जुटी समाजवादी पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए खास योजना तैयार की है। ‘अस्सी हराओ, भाजपा हटाओ’ का नारा देने के बाद अखिलेश यादव ने बीजेपी के खिलाफ अपनी इस रणनीति का खुलासा किया। अखिलेश ने बताया कि वह आने वाले चुनाव में पीडीए फॉर्म्युले पर काम करेंगे और देश के सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में एनडीए को धूल चटा देंगे।

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अखिलेश यादव की पीडीए फॉर्म्यूला में पिछड़े वर्ग, दलित और अल्पसंख्यक वोटर्स आते हैं। प्रदेश में कमजोर होती मायावती की बहुजन समाज पार्टी के वोटबैंक को साधने का प्रयास सपा के लिए थोड़ा नया है लेकिन यह हैरान करने वाली बात नहीं है। आमतौर पर माय समीकरण यानी कि मुस्लिम और यादव के लिए जानी जाने वाली सपा अब गैर यादव ओबीसी और दलितों में पैठ बनाने की भी कोशिश कर रही है। हालिया विधानसभा चुनाव में उसे अल्पसंख्यक समुदाय का भरपूर समर्थन मिला था लेकिन बीएसपी से छिटकर दलित वोट बीजेपी के खाते में चला गया। अखिलेश इसी वोट पर दावा करना चाहते हैं।

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