बीती रात नेपाल में मंगलवार देर रात 6.3 तीव्रता का भूकंप आया. जिसके झटके राजधानी दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत में महसूस किए गए. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, भूकंप 9 नवंबर रात करीब एक बजकर 57 मिनट पर आया था. दिल्ली के साथ ही नोएडा, लखनऊ और गुरुग्राम में भी कई सेकेंड तक भीषण झटके महसूस किए गए. इसके कारण लोग उठ गए और कई लोग अपनी सोसायटी में बाहर निकल आए.
दो बार लगे झटके
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर के साथ ही, यूपी-उत्तराखंड, बिहार, हरियाणा और मध्य प्रदेश तक भूकंप के तेज झटके महसूस किए. यहां भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.3 मापी गई. हालांकि, भूकंप की वजह से भारत में किसी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है. गोरखपुर में भी देर रात के बाद भूकंप के झटके महसूस किए गए.
जिला आपदा विशेषज्ञ गौतम गुप्ता ने टेलीफोन पर बातचीत में बताया कि भूकंप दो बार आया. रात 8 बजकर 52 मिनट पर 4.6 तीव्रता और रात 1 बजकर 57 मिनट पर 5.7 रिक्टर स्केल की तीव्रता मापी गई.
बता दें कि दिल्ली एनसीआर में देर रात 2 बजे आए भूकंप से पहले उत्तराखंड और यूपी में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 4.9 मापी गई थी. इसका केंद्र उत्तराखंड में भारत-नेपाल सीमा पर बताया गया था. भूकंप की गहराई 10 किलोमीटर नीचे बताई गई थी. इन दोनों झटकों से पहले मंगलवार को 4.4 की तीव्रता का एक और भूकंप का झटका नॉर्थ इंडिया के कुछ शहरों में लोगों ने महसूस किया था. यह भूकंप सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर महसूस किया गया था. इसका केंद्र चम्फाई, मिजोरम था.
भूकंप आए तो इन बातों का रखें ध्यान
यदि घर के अंदर हैं तो क्या करें
यदि आप भूकंप के दौरान घर के अंदर हैं तो जमीन पर झुक जाएं. किसी मजबूत मेज या फर्नीचर के किसी हिस्से के नीचे जाकर बैठ जाएं. अगर घर में कोई मेज या डेस्क नहीं है तो चेहरे और सिर को अपने बाजुओं से ढक लें और बिल्डिंग के किसी कोने में झुक कर बैठ जाएं.
किसी इंटरनल गेट के लेंटर, किसी कमरे के कोने में, किसी मेज या पलंग के नीचे शरण लें.
भूकंप के दौरान शीशे, खिड़कियों, दरवाजों और दीवारों से दूर रहें. गिरने वाली चीजों के आसपास न रहें.
घर के बाहर हैं तो क्या करें
यदि आप घर के बाहर हैं तो जहां हैं वहीं रुक जाएं. बिल्डिंग, पेड़ों, स्ट्रीट लाइटों और बिजली/टेलीफोन आदि के खंभों और तारों से दूर रहें.
यदि आप किसी खुली जगह पर हैं तो वहां तब तक रुके रहें जब तक कि भूकंप के झटके न रुक जाएं.
बेहतर है कि खुले मैदान में जाकर खड़े हों.