भारत-नेपाल सीमावर्ती जिलों में फर्जी परमिट के जरिए निजी बसों का संचालन किए जाने का मामला सामने आया है। विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) और सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी) ने परिवहन विभाग को कई बसों के परमिट जांच के लिए भेजे थे। जांच के दौरान सामने आया कि इनमें से कई परमिट फर्जी हैं और बसें अवैध रूप से संचालित हो रही थीं। इस मामले के सामने आने के बाद बागपत से लेकर महराजगंज तक हड़कंप मच गया है। परिवहन विभाग ने तत्काल एक्शन लेते हुए जांच शुरू कर दी है।
तीन जिलों में फर्जीवाड़े की पुष्टि
परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह के निर्देश पर जांच में अलीगढ़, बागपत और महराजगंज जिलों में जाली परमिट की पुष्टि हुई है। एआरटीओ कार्यालयों की रिपोर्ट से साफ हो गया कि इन जिलों से कोई वैध परमिट जारी नहीं किया गया था। इसके बाद तीनों जिलों की पुलिस को एफआईआर दर्ज कराने के लिए तहरीर दी गई है।
जांच शुरू
जांच का दायरा बढ़ाते हुए परिवहन विभाग ने गोरखपुर, इटावा और औरैया में भी परमिट की जांच शुरू कर दी है। यहां भी कई फर्जी परमिट मिलने की बात सामने आ रही है, जिससे यह स्पष्ट है कि यह रैकेट राज्य के कई जिलों में फैला हुआ है और एक संगठित नेटवर्क की तरह काम कर रहा है।
बड़े स्तर पर साजिश की आशंका
मामले की गंभीरता को देखते हुए परिवहन आयुक्त ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी को पत्र लिखकर एसटीएफ से जांच कराने का अनुरोध किया है। विभाग को आशंका है कि इस रैकेट में केवल दलाल और एजेंट ही नहीं, बल्कि कुछ सरकारी अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं। इसी कारण इस पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच की जरूरत महसूस की जा रही है।
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एफआरआरओ की भूमिका
विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) की भूमिका इस प्रकरण में अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। एफआरआरओ ने सीमावर्ती क्षेत्रों में चल रही निजी बसों के संदिग्ध परमिटों की जानकारी एकत्र कर परिवहन विभाग को भेजी, जिससे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। यह कार्यालय विदेशियों की निगरानी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गतिविधियों की निगरानी में अहम भूमिका निभाता है। एफआरआरओ द्वारा समय पर दी गई सूचना से फर्जी परमिट के जरिए हो रहे अंतरराष्ट्रीय मार्ग के दुरुपयोग को उजागर कर रोकने की दिशा में बड़ी कार्रवाई संभव हो पाई।
केंद्र सरकार को भेजी रिपोर्ट
इस फर्जीवाड़े को केवल एक यातायात नियम उल्लंघन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जोड़कर देखा जा रहा है। नकली दस्तावेजों के आधार पर सीमावर्ती क्षेत्रों में यात्री बसों का संचालन कई खतरों को जन्म दे सकता है। इसलिए परिवहन विभाग ने भारत सरकार को भी पूरे मामले की जानकारी देते हुए उचित कार्रवाई का अनुरोध किया है।