एक महीने से अधिक समय तक बाढ़ से त्राहिमाम कर रहे केरल को अब नई मुसीबत घेरती नजर आ रही है। केरल की नई परेशानी का नाम है सूखा। खबर आ रही है कि राज्य की नदियां और कुएं सूखने लगे हैं। यही नहीं कई हिस्सों में भूजल का स्तर बहुत तेजी से गिरा है। तेजी से सूखती नदियां, कुएं और गिरते भूजल स्तर को देखते हुए राज्य सरकार चौकन्नी हो गई है।
बाढ़ के बाद उत्पन्न सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न होने से पहले वैज्ञानिक अध्ययन कराने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने राज्य विज्ञान, तकनीक एवं पर्यावरण परिषद को प्रदेश में बाढ़ के बाद की स्थिति का अध्ययन करने और उत्पन्न समस्या का समाधान सुझाने का निर्देश दिया है।
बाढ़ से प्रदेश को करीब 40,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। राज्य सरकार एकबार फिर आज अपना मेमोरेंडम केंद्र को सौंप प्रारंभिक अनुमान के आधार पर मुआवजे की मांग करेगा। साथ ही केरल सरकार गुरुवार को बाढ़ से प्रभावित हर परिवार को 10,000 रुपये का मुआवजा सौंपने का काम पूरा करेगी।
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केरल के कई इलाके पेरियार, भरतपुझा, पंपा और कबानी जो कुछ दिनों पहले तक बाढ़ की चपेट में थे जहां नदियां बाढ़ के दौरान उफन रही थीं। अब इसमें पानी का स्तर बहुत तेजी से नीचे गिर रहा है। यही नहीं कई जिलों से कुओं के सूखने के साथ ही उनके ढह जाने की भी खबरें आ रही हैं जिसने राज्य सरकार के पशीने पर सिलवटें लानी शुरू कर दी हैं। सिर्फ पानी का स्तर नहीं गिर रहा है बल्कि यहां केंचुओं के सामूहिक खात्मे समेत कई मुद्दों ने केरल के विभिन्न हिस्सें को चिंतित किया है।
सैलाब ने समृद्ध जैव विविधता के लिए मशहूर वायनाड जिले को तबाह कर दिया। बड़े पैमाने पर हो रहे जलवायु परिवर्तन को देखते हुए केरल के किसान चिंतित हैं। किसानों की चिंता की बड़ी वजह केंचुओं का मरना भी है क्योंकि उनके मरने की वजह से धरती तेजी से सूख रही है और मृदा की संरचना में बदलाव हो रहा है। बाढ़ ने कई स्थानों पर भूमि की स्थलाकृति बदल दी है और खासतौर पर, इदुक्की और वायनाड जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में जमीन में किलोमीटर लंबी दरारें आ गई हैं।
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