उत्तर प्रदेश के जौनपुर की एक कोर्ट ने बुधवार को पूर्व सांसद धनंजय सिंह (Dhananjay Singh) को किडनैपिंग और रंगदारी मांगने के मामले में 7 साल की सजा सुनाई है। यही नहीं, उनपर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। अपर सत्र न्यायाधीश एमपी-एममलए कोर्ट शरद त्रिपाठी ने मंगलवार को पूर्व सांसद को दोषी करार दिया था। वहीं, आज इस मामले की सुनवाई के दौरान उन्होंने अपना फैसला सुनाया है।
नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर ने दर्ज कराई थी एफआईआर
पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके सयहोगी संतोष विक्रम को नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल को 4 साल पहले किडनैप करने, रंगदारी मांगने, गालियां और धमकी देने के आरोप सात साल की सजा सुनाई गई है। ऐसे में अब वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
चुनाव से मुझे रोकने के लिए षड़यंत्र रचा गया है. – धनंजय सिंह
यूपी में जौनपुर से पूर्व सांसद धनंजय सिंह को 7 साल की सजा हुई है। जौनपुर की MP/MLA कोर्ट ने बुधवार को नमामि गंगे योजना के प्रोजेक्ट मैनेजर के किडनैपिंग केस में सजा सुनाई। कोर्ट ने 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। pic.twitter.com/hUG6Pf0x22
— जय श्री राम का छोटा भाई लक्ष्मण official (@RinkuTh23214961) March 6, 2024
जानकारी के अनुसार, मुजफ्फरनगर जनपद के निवासी अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी समेत अन्य धाराओं में धनंजय सिंह व संतोष विक्रम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसमें कहा गया था कि रविवार के दिन शाम के वक्त पूर्व सांसद अपने साथी विक्रम और 2 व्यक्ति पचहटिया स्थित साइट पर पहुंचे। यहां से उन्हें किडनैप कर पूर्व सांसद के आवास मोहल्ला कालीकुत्ती लाया गया।
पीड़ित ने बताया कि इसके बाद धनंजय सिंह पिस्टल लाए और अपशब्द कहते हुए वादी की फर्म को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव बनाने लगे। जब उन्होंने इंकार किया तो उन्हें धमकाते हुए रगंदारी मांगी गई। हालांकि, किसी तरह वह उनके चंगुल से बचकर लाइन बाजा थाने पहुंचे और पूर्व सांसद व सहयोगी के खिलाफ केस दर्ज कराते हुए कार्रवाई की मांग की।
वहीं, पुलिस ने पूर्व सांसद को उनके आवास से अरेस्ट कर कोर्ट में दूसरे दिन ही पेश कर दिया। यहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। यहां की कोर्ट से उनकी जमानत निरस्त हो गई थी। इसके बाद उच्च न्यायालय से उन्हें जमानत मिली। उस दौरान जेल जाते समय पूर्व सांसद ने आरोप लगाया था कि राज्यमंत्री व एसपी ने साजिश के तहत उन्हें फंसाया है। पत्रावली सुनवाई के लिए एमपी-एमएलए कोर्ट भेजी गई। वहां सुनवाई चल रही थी। इसी बीच हाईकोर्ट एमपी एमएलए से जुड़ी सभी पत्रावली संबंधित जिला अदालत में भेजने का आदेश दिया।
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