राजस्थान में अब ‘वीर’ नहीं रहे सावरकर

राजस्थान में सत्ता पर काबिज हुई गहलोत सरकार ने राज्य बोर्ड के अतंर्गत आने वाले स्कूलों के छात्रों की किताबों में कई बदलाव किए हैं. इनमें ऐतिहासिक घटनाओं, शख्सियतों से लेकर भाजपा सरकार के कार्यकाल में लिए गए फैसलों तक को बदल दिया गया है. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RSEB) के लिए ताजा प्रकाशित पुस्तकें राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक बोर्ड (RSTB) द्वारा बाजार में वितरित की गई हैं.


एक रिपोर्ट के अनुसार यह बदलाव इस साल 13 फरवरी को गठित पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति द्वारा की गई सिफारिशों के बाद किए गए हैं ताकि यह अध्ययन किया जा सके कि राजनीतिक हितों की पूर्ति और इतिहास के साथ छेड़छाड़ करके स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में पहले क्या बदलाव किए गए थे.


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आइये बताते हैं कि किताबों में क्या बदलाव हुए है…

पुरानी किताब में 12वीं की इतिहास की किताब में स्वतंत्रता संग्राम वाले अध्याय में सावरकर के नाम के आगे पहले वीर लिखा था. इस अध्याय में स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में दिए उनके योगदान के बारे में काफी विस्तार से लिखा गया था. वहीं, नई किताब में सावरकर के नाम से ‘वीर’ शब्द हटा दिया गया है और उनका नाम अब विनायक दामोदर सावरकर हो गया है. इसमें बताया गया है कि कैसे अंग्रेजों ने सेल्यूलर जेल में उन्हें प्रताड़ित किया था. उन्होंने दूसरी दया याचिका में खुद को पुर्तगाल का बेटा बताया था. उन्होंने अंग्रेजों को 4 बार दया याचिका भेजी. सावरकर ने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की तरफ कार्य किया.


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पुरानी किताब में 10वीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की किताब में लिखा गया था कि मुगल सम्राट अकबर महाराणा प्रताप को मारने और उनके राज्य पर कब्जा करने में असफल रहे थे. महाराणा प्रताप के पक्ष में हल्दीघाटी के युद्ध के लिए यह तर्क दिया गया कि मुगल सेना ने मेवाड़ की सेना का अनुसरण नहीं किया और भय में समय बिताया. नई किताब में हल्दीघाटी के युद्ध का हिस्सा प्रताप के युद्ध का मैदान छोड़ने और उनके घोड़े चेतक के मरने पर खत्म होता है. इसमें लिखा गया है कि महाराणा प्रताप और अकबर के बीच धार्मिक युद्ध नहीं हुआ था बल्कि दो राजनीतिक ताकतों के बीच श्रेष्ठता का टकराव था.


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पुरानी किताब में 12वीं की राजनीति विज्ञान किताब में नोटबंदी को कालेधन का सफाई अभियान बताया गया था. इसमें बताया गया था कि कैसे नोटबंदी ने भ्रष्टाचार और विदेशी नीति पर असर डाला. नई किताब में नोटबंदी से संबंधित सभी संदर्भ हटा दिए गए हैं.


पुरानी किताब में जातिवाद और सांप्रदायिकता वाले अध्याय में मुस्लिम संगठनों जैसे जमात-ए-इस्लाम, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल और सिमी के नाम लिखा गया था. नई किताब में मुस्लिम संगठनों के अलावा इसमें हिंदू महासभा के नाम को राजनीतिक संगठनों की सूची में जोड़ा गया है जो स्वार्थ के लिए विभाजनकारी विचारों का प्रचार करते हैं.


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पुरानी किताब में 12वीं कक्षा की राजनीतिक विज्ञान की किताब में भारत के अपने पड़ोसियों (पाकिस्तान, चीन और नेपाल) के साथ संबंधों को लेकर लिखा गया गया है कि भारत-विरोधी नीति और जिहाद भारत-पाकिस्तान संबंधों को प्रभावित करने वाली समस्याओं की सूची में शामिल है. नई किताब में जिहाद शब्द को किताब से हटा दिया गया है.


पुरानी किताब में 12वीं कक्षा की इतिहास की किताब में ‘मुस्लिम हमला- उद्देश्य और प्रभाव’ अध्याय में कहा गया है कि अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर हमला इसलिए किया क्योंकि वह महाराजा रतन सिंह की खूबसूरत पत्नी पद्मिनी को पाना चाहता था. वहीं, नई किताब में किताब में पुराने कारण को जस का तस रखा गया है. इसके अलावा कहा गया है कि शिक्षाविद केएस लाल, कानूनगो और हबीब नहीं मानते कि केवल पद्मिनी ही चित्तौड़ पर हुए हमले के पीछे का कारण थीं.


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उधर, राजस्थान के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि पाठ्यक्रम अपडेट करना एक सतत प्रक्रिया है. उन्होंने कहा- ‘हमने शिक्षाविदों की एक समिति बनाई और कई ऐसे पाठ्यपुस्तकों में गलतियां पाईं जिनमें ऐसे मामले शामिल थे, जिसमें इतिहास के छेड़छाड़ करके उसे प्रस्तुत किया गया था. हमारे पास इसमें कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है. हमने समिति की सिफारिशों के आधार पर बदलाव किए हैं. लेकिन भाजपा के कार्यकाल में उन्होंने एनसीईआरटी के सिलेबस को बदलकर आरएसएस की विचारधारा को थोपा और किताबों को बदल दिया, जिसमें हजारों करोड़ रुपये खर्च हुए’.


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