संकट में फंसी गो फर्स्ट एयरलाइन (Go First Airline Crisis) ने सोमवार को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (National Company Law Tribunal) से आग्रह किया है कि कंपनी द्वारा दायर किए गए स्वैच्छिक दिवालियापन के आवदेन पर जल्द से जल्द सुनवाई की जाए , क्योंकि एयरलाइन के विमानों का पंजीकरण रद्द किया जाना शुरू कर दिया गया है।
इस मामले में 4 मई को सुनवाई करते हुए एनसीएलटी ने अपने आदेश को रिजर्व रख लिया था। वहीं, कंपनी की ओर से किए गए आग्रह पर एनसीएलटी जल्द सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। बता दें कि 2 मई को गोफर्स्ट एयरलाइन की ओर से अपनी सभी उड़ानों को 5 मई तक के लिए यह कहते हुए रद्द कर दिया गया था कि कंपनी के पास संचालन के लिए पैसे नहीं है और फिर से 12 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया।
जानकारी के अनुसार, गोफर्स्ट एयरलाइन पर करीब 11,463 करोड़ रुपये की देनदारी है। इसमें वेंडर्स का 3,856 करोड़ रुपये का डिफॉल्ट शामिल है। वहीं, कंपनी को विमान लीज पर देने वाली कंपनियों के 2,600 करोड़ रुपये बकाए हैं। विमान लीज पर देने वाली कंपनियां गोफर्स्ट की ओर से दी गई दिवालिया अर्जी का विरोध कर रही हैं और इसे खतरनाक बता रही है।
बता दें कि गोफर्स्ट एयरलाइन करीब 17 सालों से विमान सेवा का संचालन कर रहा है। कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, उसके पास 59 विमानों का बेड़ा है। प्रतिदिन करीब 200 उड़ानों का संचालन करती थीं।