लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार एंप्लॉयी पेंशन स्कीम के तहत न्यूनतम पेंशन दोगुनी कर 2,000 रुपये प्रति महीने कर सकती है. सरकार के इस कदम से लगभग 40 लाख से ज्यादा वर्कर्स को फायदा होगा. एंप्लॉयीज प्रविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (EPFO) से जुड़े वर्कर्स अपने आप इस स्कीम के सब्सक्राइबर बन जाते हैं. ख़बरों के अनुसार उच्च-स्तरीय कमेटी ने पेंशन को बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है. साथ खबर है कि इस पर वित्त एंप्लॉयी पेंशन स्कीम पर सरकार सालाना 9,000 करोड़ रुपये खर्च करती है और अगर इस प्रपोजल को स्वीकार किया जाता है तो यह आंकड़ा बढ़कर करीब 12,000 करोड़ रुपये हो जाएगा.
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अधकारियों के अनुसार ‘मौजूदा फंड से अधिक पेंशन का बोझ उठाना संभव नहीं होगा. यह वित्त मंत्रालय को तय करना है कि सरकार यह खर्च उठाने के लिए तैयार है या नहीं. लेबर मिनिस्ट्री के एडिशनल सेक्रेटरी की अगुवाई में पिछले वर्ष बनाई गई इस कमिटी से एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम का मूल्यांकन और समीक्षा करने के लिए कहा गया था. अधिकारियों के अनुसार वित्त मंत्रालय यह शर्त रख सकता है कि अधिक पेंशन की सुविधा लेने की इच्छा रखने वाले रिटायरमेंट की आयु तक अपने प्रविडेंट फंड से पेंशन का हिस्सा नहीं निकाल सकेंगे. इससे सरकार को इस स्कीम के लिए पर्याप्त फंड मिल सकेगा.
60 लाख पेंशनर
गौरतलब है कि, एंप्लॉयी पेंशन स्कीम के लगभग 60 लाख पेंशनर हैं. इनमें से करीब 40 लाख को 1,500 रुपये प्रति माह से कम पेंशन मिल रही है. इनमें से 18 लाख प्रति माह 1,000 रुपये की न्यूनतम पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। सरकार के पास पेंशन फंड में लगभग 3 लाख करोड़ रुपये हैं. ट्रेड यूनियंस और ऑल इंडिया EPS 95 पेंशनर्स संघर्ष समिति सरकार पर न्यूनतम मासिक पेंशन बढ़ाकर 3,000 रुपये से 7,500 रुपये के बीच करने के लिए दबाव डाल रहे हैं.
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एक संसदीय कमिटी ने भी हाल ही में सरकार से एंप्लॉयी पेंशन स्कीम का आकलन कर न्यूनतम मासिक पेंशन में बदलाव करने को कहा था. कमेटी का कहना था कि मौजूदा पेंशन मूलभूत जरूरतों को भी पूरा करने के लिए बहुत कम है. एंप्लॉयी प्रविडेंट फंड स्कीम का सदस्य बनने पर एंप्लॉयीज अपने आप एंप्लॉयी पेंशन स्कीम में शामिल हो जाते हैं. एक एंप्लॉयी के वेतन का 12 पर्सेंट प्रति माह उसके प्रविडेंट फंड में जाता है. एंप्लॉयर के 12 पर्सेंट के योगदान में से 3.67 पर्सेंट प्रॉविडेंट फंड और 8.33 पर्सेंट एंप्लॉयी पेंशन स्कीम में जाता है.
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