एक्शन में योगी सरकार, ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड’ में धांधली में दोषी 9 अधिकारी सस्पेंड

मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना सोइल हेल्थ कार्ड (‘मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड) में बड़े स्तर पर धांधली सामने आई है. जैसे ही ये खबर सामने आई पूरे कृषि विभाग में हड़कंप मच गया. भ्रष्टाचार को लेकर सीएम योगी के सख्त रूख को चलते बुधवार को कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने धांधली में शामिल सभी 9 आलाधिकारियों को निलम्बित कर दिया है. इनमें दो संयुक्त निदेशक, पांच उप निदेशक व दो सहायक निदेशक शामिल हैं. इस सभी पर आरोप है कि इन लोगों ने चहेती फर्मों को टेंडर देने के लिए शर्तों में मनमानी की. इतना ही नहीं टेंडर में शामिल सभी चारों कंपनियों को भी ब्लैकलिस्ट कर दिया है. इसके अलावा सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश भी दे दिया है.

 

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मालूम हो किसानों की आय को दोगुना करने के उद्देश्य से किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच के लिए मोदी सरकार ने गत 19 फरवरी 2015 को मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का शुभारंभ किया था, जिसमें किसानों को मिट्टी के प्रकार के आधार पर उनके खेतों के लिए सबसे उपयुक्त पोषक तत्वों के लिए अनुकूल सलाह दी जाती है.

 

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रिपोर्ट के मुताबिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत यूपी के हर जिले और अधिकांश तहसीलों में एक अभियान चलाकर मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत मिट्टी की जांच कराकर मृदा स्वास्थ्य कार्ड बाटें जा रहे हैं, लेकिन इसी बीच मृदा स्वास्थ्य कार्ड की आउटसोर्सिंग के लिए किए गए टेंडर में हुई धांधली की मिली शिकायत पर कृषि उत्पादन आयुक्त प्रभात कुमार द्वारा कराई गई और जांच में हुए खुलासे से कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही समेत विभागीय आला अधिकारियों के होश उड़ गए हैं.

 

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जांच रिपोर्ट के मुताबिक कृषि विभाग के निलंबित किए गए आला अधिकारियों ने अपने स्तर से एक ही व्यक्ति द्वारा अलग-अलग नामों से बनाई गई मेसर्स यस सोल्यूशन, मेसर्स सरस्वती सेल्स, मेसर्स सिद्धि विनायक, मेसर्स सतीश अग्रवाल नामक कंपनियों को वर्ष 2017-18 में उनके मुफीद शर्तें जोड़कर मृदा स्वास्थ्य कार्ड का टेंडर दिया गया. यही नहीं, वर्ष 2018-19 में भी मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लिए केंद्र सरकार से जारी गाइड लाइन्स को दरकिनार कर इन्हीं कंपनियों को अपने स्तर से टेंडर जारी करके करीब 12 करोड़ की धांधली की गई. दिलचस्प यह है कि उपरोक्त जिन कंपनियों को टेंडर दिया गया, उनके पास मृदा स्वास्थ्य के लिए आवश्यक मशीनें तक नहीं मौजूद नहीं है.

 

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सूत्रों की मानें तो कृषि उत्पादन आयुक्त के निर्देश पर कृषि निदेशक द्वारा की गई जांच में हुए इस धांधली के खुलासे से जुड़ी रिपोर्ट बीते 28 सितंबर को ही दे दी गई थी, लेकिन कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने इस मामले की जांच दोबारा प्रमुख सचिव कृषि से कराई, जिसमें भी हुए धांधली के खुलासे के बावजूद आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. यही नहीं, गत 10 अक्टूबर को दोबारा कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई, लेकिन धांधली की खबर जब सीएम योगी आदित्यनाथ तक पहुंच गई और तब मामले में सीएम की नाराजगी को देखते हुए कृषि मंत्री आनन-फानन में एक प्रेसवार्ता करके मामले में दोषी 9 अधिकारियों को निलंबित कर दिया.

 

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निलंबित अधिकारियों में मुख्यालय में तैनात संयुक्त कृषि निदेशक पंकज त्रिपाठी, बरेली के उप कृषि निदेशक विनोद कुमार, मुरादाबाद के उप कृषि निदेशक डॉ. अशोक कुमार, अलीगढ़ के संयुक्त कृषि निदेशक जोगेंद्र सिंह राठौर, सहारनपुर के उप कृषि निदेशक राजीव कुमार, झांसी के उप कृषि निदेशक रामप्रताप, मेरठ के उप कृषि निदेशक सुरेश चंद्र चौधरी, अलीगढ़ के मृदा परीक्षण प्रभारी और सहायक निदेशक देव शर्मा और बरेली के सहायक निदेशक संजीव कुमार समेत सभी 9 अधिकारियों के नाम शामिल हैं.

 

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धांधली में शामिल संबंधित कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया गया है जबकि दोषी अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए विधिक राय ली जा रही है, सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि करीब 12 करोड़ रुपए के टेंडर को निरस्त कर दोबारा पारदर्शी तरीके से टेंडर जारी किया जाएगा.

 

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