लाइफस्टाइल: वर्तमान समय में पूरी दुनिया में आज विश्व महिला दिवस मनाया जा रहा है. आज का दिन हर महिला के लिए खास है. हम आपको आज महिलाओं के उन अधिकारों के बारे में बताने जा रहे हैं जो भारतीय संविधान ने हर महिला को दिए हैं. संविधान से मिले इन अधिकारों को भारत की हर महिला को जानना जरूरी.
घर की औरत जननी है, मां है, बहन है, बेटी है और ना जाने कितने रिश्तों का बोझ अपने कंधों पर लेकर चलती है. बावजूद इसके उसे उन नजरों से देखा जाता है जिसे समाज घर की चार दीवारी के अंदर कैद रखना चाहता है. भारतीय संविधान से मिले महिलाओं के ये अधिकार ही उन्हें रह जुर्म से लड़ने के लिए मजूबती प्रदान कर सकते हैं. इसलिए इन अधिकारों को आपको जानना जरूरी है.
भारतीय महिलाओं को संविधान के तहत मिले अधिकार निम्नलिखित हैं
काम के दौरान हुए उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार
महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ काम कर रही है. ऐसे में अगर कोई सहकर्मी उनका यौन उत्पीड़न करता है तो भारतीय संविधान का यौन उत्पीड़़न अधिनियम उन्हें ये अधिकार प्रदान करता है कि आप यौन उत्पीड़न करने वाले खिलाफ शिकायत दर्ज कराएं. जिससे उन्हें न्याय मिल सके.
समान वेतन का अधिकार
आज दुनियाभर में महिलाए पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर काम कर रही है. ऐसे में ये नहीं कहा जाता सकता कि उन्हें उस काम के बदले कम पैसा मिले जिसे करने के लिए पुरुषों को मिलता है. समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार, अगर बात वेतन या मजदूरी की हो तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता. क्यों कि आज महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं ऐसे में उन्हें भी पुरुषों के समान वेतन पाने का पूरा अधिकार है.
नाम न छापने का अधिकार
भारतीय संविधान ने यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को नाम न छापने देने का अधिकार है. अपनी गोपनीयता की रक्षा करने के लिए यौन उत्पीड़न की शिकार हुई महिला अकेले अपना बयान किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में या फिर जिलाधिकारी के सामने दर्ज करा सकती है.
घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार
इस अधिनियम के तहत मुख्य रूप से पति, पुरुष लिव इन पार्टनर या रिश्तेदारों द्वारा एक पत्नी, एक महिला लिव इन पार्टनर या फिर घर में रह रही किसी भी महिला जैसे मां या बहन पर की गई घरेलू हिंसा से सुरक्षा करने के लिए बनाया गया है. अगर किसी महिला के साथ इस तरह के अत्याचार हो रहे हैं तो वो तुरंत इसकी शिकायत दर्ज करा सकती है.
कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार
भारत के हर नागरिक का ये कर्तव्य है कि वो एक महिला को उसके मूल अधिकार- ‘जीने के अधिकार’ का अनुभव करने दें. गर्भाधान और प्रसव से पूर्व पहचान करने तकनीक अधिनियम कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार देता है.
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रात में गिरफ्तारी ना करने का अधिकार
एक महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, किसी खास मामले में एक प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही ये संभव है.
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