जानें कौन हैं जस्टिस फ़कीर मुहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला, जो निकालेंगे राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद का हल

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने अहम फैसले में अयोध्‍या रामजन्‍मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले का स्‍थायी हल निकालने की कवायद के तहत इसे मध्‍यस्‍थता के लिए सौंप दिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सुप्रीम जस्टिस एफएम इब्राहिम खल्लीफुल्ला, आध्‍यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्‍ठ वकील श्रीराम पंचू को मध्‍यस्‍थ नियुक्‍त किया गया है. मध्‍यस्‍थता की पूरी प्रकिया फैजाबाद में बंद कमरे में कैमरे के सामने होगी. यानि इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी और मीडिया को इसकी कवरेज से दूर रहने के आदेश भी दिए गए हैं.


सुप्रीम कोर्ट ने अपने सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफएम इब्राहिम कलीफुल्ला को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में मध्यस्थता करने वाले पैनल का मुखिया बनाया है. इस तरह जस्टिस कलीफुल्ला पैनल में प्रमुख भूमिका में होंगे.


कलीफुल्ला जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं. अप्रैल 2012 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया था. फिलहाल वह रिटायर हो चुके हैं लेकिन अपने कई फैसलों के लिए कलीफुल्ला जाने जाते हैं. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया (BCCI) को पारदर्शी बनाने की प्रक्रिया में उन्होंने जस्टिस लोढ़ा के साथ मिलकर काफी काम किया.


मूल रूप से तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में कराईकुडी के रहने वाले न्यायमूर्ति कलीफुल्ला का जन्म 23 जुलाई 1951 को हुआ था. जस्टिस कलीफुल्ला का पूरा नाम फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला है.उन्होंने 20 अगस्त 1975 को बतौर वकील अपने कानूनी करियर की शुरुआत की. वह श्रम कानून से संबंधित मामलों में सक्रिय वकील थे. उन्होंने कई सार्वजनिक और निजी कंपनियों के साथ-साथ राष्ट्रीयकृत और अनुसूचित बैंकों का भी प्रतिनिधित्व किया. न्यायमूर्ति कलीफुल्ला बाद में तमिलनाडु राज्य विद्युत बोर्ड के स्थायी वकील भी रहे.


आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट राम मंदिर विवाद को मध्यस्थता के जरिए सुलझाने के लिए तीन मध्यस्थों को नियुक्त किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक हफ्ते में मध्यस्थता शुरू हो जानी चाहिए. फिलहाल तीन मीडिएटर हैं लेकिन अगर मध्यस्थ चाहें तो और सदस्यों को भी शामिल कर सकते हैं.


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