Hartalika Teej 2024: आज है हरतालिका तीज, जानें पूजा विधि और महत्व, भूलकर भी न करें ये गलतियां

Hartalika Teej 2024 Date: सनातन धर्म में भाद्र मास शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि के दिन देश भर में हरितालिका तीज (Hartalika teej) का पर्व मनाया जाता है. इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत करती हैं और भगवान शिव (Lord Shiva) और मां पार्वती (Mata Parvati) की विधिवत पूजा करती हैं. इस साल 18 सितंबर को हरितालिका तीज का पर्व मनाया जाएगा. कहा जाता है कि इस व्रत को अविवाहित कन्याएं भी व्रत करती हैं और योग्य और मनचाहे वर की कामना करती हैं. चलिए जानते हैं इस साल तीज के व्रत और पूजन का शुभ मुहूर्त क्या है.

हरतालिका तीज शुभ मुहूर्त (Hartalika Teej shubh muhurt)

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की तृतीया तिथि 5 सितंबर यानी कल दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू हो चुकी है और तिथि का समापन 6 सितंबर यानी आज दोपहर में 3 बजकर 01 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, हरतालिका तीज आज ही मनाई जा रही है.

हरतालिका तीज व्रत के महत्वपूर्ण नियम

1. हरतालिका तीज का निराहार और निर्जला व्रत रखा जाता है. व्रत वाले दिन अन्न और जल ग्रहण नहीं करते हैं, फल खाने की भी मनाही होती है. यह करीब 24 घंटे का निर्जला व्रत होता है, जिसके कारण इसे कठिन व्रत की श्रेणी में रखते हैं.

2. हरतालिका तीज व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक ​क्रिया से मुक्त होकर सरगी खाते हैं. सरगी में मिठाई, फल, सूखे मेवे आदि होते हैं. इसके अलावा पानी और चाय भी ग्रहण करते हैं. व्रती को सरगी सूर्योदय से पूर्व खाना होता है. सूर्योदय के साथ हरतालिका तीज का व्रत शुरू हो जाता है.

3. हरतालिका तीज की पूजा में मिट्टी से बनी माता पार्वती और भगवान शिव की मूर्तियों की पूजा करते हैं. इन मूर्तियों की स्थापना दोपहर में कर देते हैं और शाम को सूर्यास्त के साथ प्रदोष काल में पूजा प्रारंभ करते हैं. माता पार्वती और शिवजी के अतिरिक्त प्रथम पूज्य गणेश जी की भी पूजा होती है.

4. हरतालिका तीज की पूजा के समय व्रती को दुल्हन की तरह तैयार होना चाहिए. सोलह श्रृंगार और नए वस्त्र पहनने चाहिए. यह व्रत सुहाग के लिए और अखंड सौभाग्य का है, इसलिए पूजा में माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाते हैं. माता पार्वती को पीला सिंदूर चढ़ाएं और स्वयं भी पीला सिंदूर लगाएं.

5. हरतालिका तीज व्रत की कथा सुनना जरूरी होता है. इस व्रत कथा को सुनने से इसका महत्व पता चलता है और हरतालिका तीज व्रत का पुण्य प्राप्त होता है.

6. पूजा के बाद अपनी सास और बड़ी ननद के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं. उनको सुहाग सामग्री और अन्य उपहार भेंट करते हैं. वे खुश होकर सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद देती हैं. जिनका विवाह नहीं हुआ और वे व्रत हैं, वे माता पार्वती और शिव जी को प्रणाम करके मनचाहा जीवनसाथी पाने का आशीर्वाद लें.

7. हरतालिका तीज के अगले दिन यानि 19 सितंबर को सूर्योदय के समय स्नान और पूजा पाठ के बाद दान करें. ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें. उसके बाद स्वयं पारण करके हरतालिका तीज व्रत को पूरा करें.

8. हरतालिका तीज व्रत के दिन दोपहर में सोना वर्जित है. जिनको सेहत से जुड़ी समस्याएं हैं, वे व्रत न रखें. व्रत रखने से समस्या और गंभीर हो सकती है.

9. हरतालिका तीज पूजा के दौरान आप माता पार्वती के मंत्र का जाप, चालीसा का पाठ कर सकती हैं. शिव चालीसा का पाठ भी कर सकती हैं.

10. मंत्र जाप कठिन लगे तो आप माता पार्वती की आरती करें. गणेश जी और भगवान शिव की आरती कर लें.

हरतालिका तीज पूजा विधि (Hartalika Teej Puja Vidhi)

  • हरतालिका तीज पर सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें. जो लोग सुबह पूजा करते हैं वह शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें.
  • हरतालिका तीज के सूर्यास्त के बाद शुभ मुहूर्त में पूजा श्रेष्ठ होती है.
  • पूजा से पहले सुहागिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार कर बालू या शुद्ध काली मिट्‌टी से शिव-पार्वती और गणेश जी की मूर्ति बनाएं.
  • पूजा स्थल पर फुलेरा लगाएं. केले के पत्तों से मंडप बनाएं.
  • गौरी-शंकर की मूर्ति पूजा की चौकी पर स्थापित करें. गंगाजल, पंचामृत से उनका अभिषेक करें.
  • गणेश जी को दूर्वा और जनेऊ चढ़ाएं. शिव जी को चंदन, मौली, अक्षत, धतूरा, आंक के पुष्प, भस्म, गुलाल, अबीर, 16 प्रकार की पत्तियां आदि अर्पित करें.
  • मां पार्वती को सुहाग की सामग्री चढ़ाएं. अब भगवान को खीर, फल आदि का भोग लगाएं.
  • धूप, दीप लगाकर हरतालिका तीज व्रत की कथा सुनें. आरती कर दें.
  • रात्रि जागरण कर हर प्रहर में इसी तरह पूजा करें. अगले दिन सुबह आखिरी प्रहर की पूजा के बाद माता पार्वती को चढ़ाया सिंदूर अपनी मांग में लगाएं.
  • मिट्‌टी के शिवलिंग का विसर्जन कर दें और सुहाग की सामग्री ब्राह्मणी को दान में दें.  प्रतिमा का विसर्जन करने के बाद ही व्रत का पारण करें.

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