आयकर विभाग ने इस्लामिक संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को दी गई कर छूट को वापस ले लिया है. विभाग ने पाया कि पीएफआई की गतिविधियां कानूनी रूप से अधिसूचित परमार्थ संगठनों (Charitable Organizations) की तरह नहीं हैं. इस संगठन की गतिविधियां सही नहीं हैं. आयकर विभाग (Income Tax) को पीएफआई के खातों में विदेश से आ रहे पैसे की सूचना मिली थी. यह आरोप भी था कि पीएफआई के खातों में अवैध तरीकों से धन जमा किया जा रहा है. इन आरोपों पर कार्रवाई करते हुए विभाग ने पीएफआई को आयकर विभाग से 12एए (3) के तहत मिली मान्यता को रद्द कर दिया.
इस आदेश का मतलब है कि पीएफआई को अब आयकर देना होगा. साथ ही पीएफआई को दान देने वालों को भी कर में किसी तरह की छूट नहीं मिलेगी. पीएफआई इस आदेश को विभाग के उच्च प्राधिकरणों और बाद में अदालतों में चुनौती दे सकता है. दरअसल, इनकम टैक्स (Income Tax) के 80जी रजिस्ट्रेशन के तहत किसी चैरिटेबल ट्रस्ट (Charitable Trust) को दान करने पर आपको पूरी या आंशिक टैक्स छूट मिलती है. इसके लिए संगठन को इनकम टैक्स विभाग से 80जी रजिस्ट्रेशन कराने के बाद सर्टिफिकेट हासिल करना पड़ता है. ऐसा करने से संगठन या ट्रस्ट को दान में मिलने वाली रकम बढ़ जाती है, क्योंकि इस पर दानकर्ता को टैक्स में छूट मिलती है.
PFI पर बैन के लिए यूपी पुलिस केंद्र को लिख चुकी है पत्र
आपको बता दें कि यूपी के पूर्व डीजीपी ओपी सिंह ने पीएफआई की संदिग्ध गतिविधियों को देखने के बाद इसे प्रतिबंधित करने के लिए योगी सरकार को प्रस्ताव भेजा था. योगी सरकार ने सहमति जताते हुए प्रस्ताव को केंद्र को भेजा था. पीएफआई के ऊपर उत्तर प्रदेश के लखनऊ और अन्य जिलों में सीएए-एनआरसी प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़काने के आरोप भी लगे. कानपुर और लखनऊ से पीएफआई के कई नेता गिरफ्तार भी हुए थे.
इस्लामिक कट्टरता को बढ़ाने के भी लगते रहे हैं आरोप
पीएफआई खुद को एक गैर सरकारी संगठन बताता है. इस संगठन पर कई गैर-कानून गतिविधियों में पहले भी शामिल रहने का आरोप है. गृह मंत्रालय ने 2017 में कहा था कि इस संगठन के लोगों के संबंध जिहादी आतंकियों से हैं, साथ ही इस पर इस्लामिक कट्टरवाद को बढ़ावा देने का आरोप है. पीएफआई ने खुद पर लगे इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया था, लेकिन अकसर इस संगठन को लेकर विवाद होता रहा है.
धर्मांतरण से जुड़े मामलों में भी आता रहा है नाम
पीएफआई ने अपनी वेबसाइट पर खुद को गरीबों, पिछड़ों के लिए काम करने वाला संगठन और फासीवाद के खिलाफ बताया है. पीएफआई की एक राजनीतिक विंग भी है, जिसका नाम एसडीपीआई (SDPI) यानी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया है. इसके अलावा कैम्पस फ्रेंड ऑफ इंडिया यानि कि सीएफआई (CFI) इसकी स्टूडेंट विंग है. कर्नाटक सरकार इस राजनीतिक संगठन पर भी प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है. यही नहीं कई रिपोर्ट्स में धर्मांतरण से जुड़े मामलों में भी पीएफआई का नाम लिया जाता रहा है.
6 आतंकी घटनाओं में शामिल रहने का था आरोप
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने 2017 में पीएफआई के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने की बात कही थी. इसमें एनआईए की वह जांच रिपोर्ट भी है, जिसमें इस संगठन पर 6 आतंकी घटनाओं में शामिल रहने का आरोप लगाया है. इसके अलावा राज्यों की पुलिस की रिपोर्ट भी एनआईए के पास है, जिसमें इस संगठन पर धार्मिक कट्टरवाद को बढ़ावा देने, आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने और जबरन धर्मांतरण का आरोप भी लगा है.
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