भारत और चीन विवाद को लेकर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई वर्चुअल ऑल पार्टी मीटिंग के दौरान 20 में से अधिकतर दलों ने सरकार का समर्थन किया. 20 में से ज्यादातर दलों ने कहा कि इस घड़ी में हम एक हैं और केंद्र के साथ हैं. हालांकि, कांग्रेस अलग-थलग नजर आई. ऐसा तब हुआ, जब महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी पार्टी एनसीपी के शरद पवार (Sharad Pawar) ने सरकार का समर्थन किया. इस बैठक में कांग्रेस के साथ महाराष्ट्र में सरकार चला रही एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने राहुल गंधी (Rahul Gandhi) को चीन के मामले पर नसीहत दे डाली.
शरद पवार ने कहा कि सैनिक कब-कहां हथियार के साथ रहेंगे और कहां नहीं, यह अंतरराष्ट्रीय समझौतों के मुताबिक तय होता है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पवार ने कहा कि ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर कुछ भी बोलते वक्त लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए. बड़ी बात यह है कि पवार खुद रक्षा मंत्री रह चुके हैं और जब वह बोल रहे थे तब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी मीटिंग में मौजूद थीं.
दरअसल, राहुल गांधी ने गुरुवार को एक वीडियो संदेश ट्वीट कर भारत सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने दावा किया कि गलवान में सैनिकों को निहत्थे मोर्चे पर भेज दिया गया जिसकी कीमत उन्हें जान देकर चुकानी पड़ी. उन्होंने सवाल किया कि 20 सैनिकों के वीरगति प्राप्त करने का जिम्मेदार कौन है?
केसीआर ने भी मोदी सरकार की कश्मीर नीति का सपोर्ट किया. मायावती भी बोलीं कि ये राजनीति का वक्त नहीं है. ममता भी सरकार के साथ दिखीं और बोलीं कि चीन को सबक सिखाने का समय आ चुका है. उन्होंने सुझाव दिया कि चीन को अब रेलवे, टेलीकॉम और अन्य क्षेत्रों में एंट्री नहीं देनी चाहिए. वहीं, एमके स्टालिन भी राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर सबके साथ नजर आए.
BJD के पिनाकी मिश्रा ने कहा- सरकार को जवाब देना पड़ेगा. चीन के खिलाफ कड़ा ऐक्शन होना चाहिए. सरकार का जो भी कदम होगा, बीजेडी उसका पूरा समर्थन करेगी. बता दें कि भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में 15-16 जून की रात हुई हिंसक झड़प के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें 20 दलों ने हिस्सा लिया.
मीटिंग में कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने हिस्सा लिया, जबकि असुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम, अरविंद केजरीवाल की आप और लालू प्रसाद की आरजेडी को न्योता नहीं दिया गया. इन तीनों ही दलों ने इस मुद्दे पर नाराजगी जाहिर की है, जबकि कई अन्य लोगों ने इसे मुद्दा बनाया और कहा कि ये घटिया राजनीति है.
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