यूपी: पुलिसकर्मी के खुलासे से महकमे में मचा हड़कंप, खुफिया निगरानी में जुटा एलआईयू

उत्तर प्रदेश पुलिस जिसे लोगों को सुरक्षा करने और उनको प्रताड़ित करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की जिम्मेदारी है। लेकिन जब इसी विभाग के पुलिसकर्मियों के साथ अन्याय होने लगे और उन्हें ही प्रताड़ित किया जाए तो ऐसे में उनकी मदद के लिए कोई सामने नहीं आता। खुद के साथ हो रहे अन्याय से छुटकारा पाने के लिए ये पुलिसवाले अपने आला अधिकारियों की चौखट पर चक्कर लगाते हैं, लेकिन शायद ही उन्हें कोई मदद मिल पाती है। ऐसा ही एक मामला यूपी के कानपुर जिले से सामने आया है जिसने पुलिस महकमे में हड़कंप मचा दिया है।

 

पुलिसकर्मी ने किया खुलासा तो अधिकारियों के फूल गए हाथ-पांव

वैसे तो पुलिस विभाग में अपनी समस्याओं को लेकर कोई भी पुलिसकर्मी अपनी आवाज उठाने की कोशिश नहीं करता। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर वो अपनी समस्याओं के लिए आवाज बुलंद करेंगे तो उन्हें अनुशासनहीनता के तहत दंडित कर दिया जाएगा। यही वजह है कि ज्यादातर पुलिसकर्मी अपनी समस्याओं को आला अधिकारियों के समक्ष रखने में कतराते हैं। लेकिन कानपुर में एक पुलिसकर्मी ने ऐसा खुलासा किया जिसे सुनकर लोगों ने दातों तले उंगली दबा ली।

 

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जानकारी के मुताबिक, कानपुर के नवाबगंज थाने की गंगा बैराज चौकी इंचार्ज अशोक कुमार ने 16 बिंदुओं पर अपनी समस्याओं का पत्र एसएसपी को भेजा तो विभाग में हड़कंप मच गया। उसने पत्र में लिखा कि मुझे लाइन हाजिर कर दिया जाए या पुलिस ऑफिस से संबद्ध कर दिया जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले 24 सालों से पुलिस विभाग में उसका शोषण हो रहा है।

 

चौकी इंचार्ज ने लिखा कि होने के बावजूद मुझे एक भी हमराही नहीं दिया जा रहा है। इसके चलते करीब दो दर्जन जांचें (विवेचनाएं) प्रभावित हैं। सजा के तौर पर स्थानांतरण नीति का उल्लंघन करते हुए मेरा एक साल में सात बार ट्रांसफर किया गया। सीनियर होने के बाद भी जूनियर के अंडर में काम करने से मानसिक तनाव में हूं।

 

पुलिस और एलआईयू रख रही दारोगा पर गोपनीय निगरानी

सूत्रों के मुताबिक, चौकी इंचार्ज अशोक कुमार का पत्र मिलते ही एसएसपी अनंत देव ने तत्काल प्रभाव से अशोक कुमार को रिजर्व पुलिस लाइन भेज दिया और इस मामले मामले में जांच भी बैठा दी है। इतना ही नहीं, एलआईयू को भी जांच के लिए लगा दिया है ताकि इस मामले से पुलिस में किसी तरह की बगावत की स्थिति न उत्पन्न हो जाए। सूत्र बताते हैं कि दरोगा की एक-एक हरकत पर पुलिस और एलआईयू गोपनीय रूप से निगाह बनाए हुए हैं।

 

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यहां तक कि एसपी पश्चिम संजीव सुमन भी इस मामले की जांच कर रहे हैं। वहीं, इस बात की भी जांच की जा रही है कि चौकी इंचार्ज अशोक द्वारा लगाए गए आरोप कितने सही हैं? सूत्रों ने बताया है कि काउंसिलिंग के जरिए दरोगा की दिक्कतों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। खबर यह भी है कि चौकी इंचार्ज के इस खुलासे के बाद से ही कई दारोगा और सिपाही अशोक के साथ खड़े हो गए हैं। ऐसे में पुलिस महकमे में बेचैनी का माहौल बना हुआ है।

 

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ये हैं चौकी इंचार्ज अशोक कुमार के आरोप

 

  • आठ घंटे की ड्यूटी होने के बाद भी 16 घंटे की नौकरी और विषम परिस्थितियों में 24 घंटे ड्यूटी ली जा रही है
  • उत्पीड़न स्वरूप ही कभी थाने का चार्ज नहीं दिया गया। जबकि प्रार्थी की सेवा संतोषजनक, उत्तम और अति उत्तम होने के साथ ही सराहनीय है।
  • उत्पीड़न करने के लिए मशीन की तरह 16 से अधिक घंटे काम लिया जा रहा है जिससे प्रार्थी तनावग्रस्त है।
  • कार्यस्थल पर कूलर, पंखा, पेयजल आदि मूलभूत सुविधाएं नहीं देकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।
  • सरकारी कार्य में लापरवाही पर सख्त कार्रवाई मिलती है लेकिन उल्लेखनीय कार्य में कभी प्रोत्साहन नहीं मिला।
  • प्रार्थी की वरिष्ठता को अनदेखा करते हुए बार-बार जूनियरों के अंडर में काम करना पड़ रहा है।
  • उत्पीड़न स्वरूप ही ट्रांसफर नीति का उल्लंघन करते हुए एक साल में सात बार किया गया।
  • प्रार्थी की 13 साल की नौकरी पूरी होने के बाद भी प्रथम प्रोन्नत वेतनमान व निरीक्षक पद का वेतन नहीं दिया जा रहा है।
  • वेतन विसंगतियों समेत अन्य मामलों की कई बार शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

 

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