जानिए क्या होती है Z+, Z, Y, X सुरक्षा कैटेगरी? यह SPG सुरक्षा से कैसे अलग है ?

स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप या एसपीजी (SPG Protection) की सुरक्षा अभी देश में मौजूद वीवीआईपी सिक्योरिटी में सबसे बेहतरीन और हाई प्रोफाइल कवर है. अभी गांधी परिवार के तीन सदस्यों कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके बेटे और पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को भी एसपीजी की ही सुरक्षा मिली हुई थी, जिसे अब मोदी सरकार ने वापस लेने का फैसला किया है. ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि आखिर ये एसपीजी सुरक्षा व्यवस्था क्या है जो गांधी परिवार को पहले मिली थी और अब जो Z प्लस सुरक्षा मिली है वो SPG से कैसे अलग है. साथ ही देश में अन्य सुरक्षा व्यव्स्थाएं क्या-क्या है?


भारत में सुरक्षा  व्यवस्था

दरअसल भारत में सुरक्षा व्यवस्था को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है. जेड प्लस (Z+), (उच्चतम स्तर); जेड (Z), वाई (Y) और एक्स (X) श्रेणी. सरकार इस बात का निर्णय ले सकती है कि इन चार श्रेणियों में किसे कौन से स्तर की सुरक्षा देनी है. सरकार खतरे के आधार पर यह वीआईपी सुरक्षा प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक, पार्षद, नौकरशाह, पूर्व नौकरशाह, जज, पूर्व जज, बिजनेसमैन, क्रिकेटर, फिल्मी कलाकार, साधु-संत या आम नागरिक किसी को भी दे सकती है.


SPG सुरक्षा क्या है

यह देश में सबसे ऊंचे स्तर की सुरक्षा है जो वर्तमान प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार के सदस्यों को दी जाती है. SPG देश के सबसे जांबाज सिपाही कहे जाते हैं. विशेष सुरक्षा दल (Special Protection Group- SPG) 2 जून, 1988 में भारत की संसद के एक अधिनियम द्वारा बनाया गया था. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है. यह केंद्र का विशेष सुरक्षाबलों में से एक है. इन जवानों का चयन पुलिस, पैरामिलिट्री फोर्स (BSF, CISF, ITBP, CRPF) से किया जाता है. यह बल गृह मंत्रालय के अधीन है. SPG देश की सबसे पेशेवर एवं आधुनिकतम सुरक्षा बलों में से एक है.


ये जवान एक फुली ऑटोमेटिक गन FNF-2000 असॉल्ट राइफल से लैस होते हैं. कमांडोज के पास ग्लोक 17 नाम की एक पिस्टल भी होती है. कमांडो अपनी सेफ्टी के लिए एक लाइट वेट बुलेटप्रूफ जैकेट भी पहनते हैं. SPG के जवान अपने आंखों पर एक विशेष चश्मा पहने रहते थे. इससे उनकी आखों को हमले से बचाया जाता है साथ ही वह किसी भी प्रकार का डिस्ट्रैक्शन नहीं होने देता हैं. आखिर में बता दें कि SPG एक हमलावर फोर्स नहीं बल्कि रक्षात्मक फोर्स है.


किसको मिलती है SPG सुरक्षा और कब हुआ इसका गठन

प्रधानमंत्री की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानि एसपीजी के पास होती है. प्रधानमंत्री के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिजनों को भी कुछ वक़्त के लिए यह सुरक्षा मिलती है. दरअसल 1981 से पहले प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस के विशेष दल के जिम्मे होती थी. इसके बाद अक्टूबर 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, समीक्षा सचिवों की एक समिति ने तय किया की प्रधानमंत्री को एक विशेष समूह के अधीन सुरक्षा दी जाए. इस पर 18 फरवरी 1985 को, गृह मंत्रालय ने बीरबल नाथ समिति की स्थापना की और मार्च 1985 में, बीरबल नाथ समिति ने एक स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट (SPU) के गठन के लिए सिफारिश को प्रस्तुत किया. इसके बाद 8 अप्रैल,1988 को SPG अस्तित्व में आया.


एसपीजी के साजो-सामान

एसपीजी कमांडोज के पास अल्ट्रा-मॉडर्न असॉल्ट राइफल, संचार के लिए ईयरपीस, बूलेटप्रूफ वेस्ट, ग्लोव्स, एल्बो और नी पैड्स से लैस होते हैं. एसपीजी के पास अत्याधुनिक वाहनों का भी एक काफिला मौजूद है. उनमें से ज्यादातर बूलेट-प्रूफ हैं. इनमें बख्तरबंद बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज की कारें, बख्तरबंदन रेंज रोवर्स, बीएमडब्ल्यू की एसयूपी, टोयोटा और टाटा की गाड़ियां शामिल हैं. यह अपनी सुरक्षा प्राप्त वीवीआईपी और उनकी सुरक्षा के लिए जरूरी वाहनों और उपकरणों के लिए भारतीय वायुसेना के विमानों और हेलिकॉप्टरों का भी देश-विदेश की यात्रा के लिए इस्तेमाल करता है.


क्या है Z+ सुरक्षा

जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा देश की स्पेशल प्रोटक्शन ग्रुप के बाद दूसरे नंबर की सबसे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है. इस सुरक्षा व्यवस्था में 55 सुरक्षा कर्मी सुरक्षा के लिए मौजूद होते हैं. 55 लोगों में 10 से ज्यादा एनएसजी कमांडो होते हैं. इसके अलावा पुलिस ऑफिसर होते हैं. इस सुरक्षा में पहले घेरे की ज़िम्मेदारी एनएसजी की होती है जबकि दूसरी परत एसपीजी कमांडो की होती है. इसके अलावा आईटीबीपी और सीआरपीएफ के जवान भी ज़ेड प्लस सुरक्षा श्रेणी में शामिल रहते हैं. साथ ही Z+ सुरक्षा में एस्कॉर्ट्स और पायलट वाहन भी दिए जाते हैं.


जेड श्रेणी की सुरक्षा

जेड श्रेणी की सुरक्षा में चार से पांच एनएसजी कमांडो सहित कुल 22 सुरक्षागार्ड तैनात होते हैं. इसमें दिल्ली पुलिस, आईटीबीपी या सीआरपीएफ के कमांडो व स्थानीय पुलिसकर्मी भी शामिल होते हैं.



वाई श्रेणी की सुरक्षा

यह सुरक्षा का तीसरा स्तर होता है. कम खतरे वाले लोगों को यह सुरक्षा दी जाती है. इसमें कुल 11 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं. जिसमें दो कमांडो तैनात होता है.


एक्स श्रेणी की सुरक्षा

इस श्रेणी में दो सुरक्षा गार्ड तैनात होते हैं. जिसमें एक पीएसओ (व्यक्तिगत सुरक्षा अधिकारी) होता है. देश में काफी लोगों को एक्स श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है. इस सुरक्षा में कोई कमांडो शामिल नहीं होता.


Also Read: जानें वाल्मीकि ने ही क्यों की थी रामायण की रचना, एक ‘डाकू’ से बने महर्षि की पूरी कहानी


( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )