तिकुनिया हिंसा: आशीष मिश्रा समेत अन्य पर चलेगा किसानों की हत्या का केस, 16 दिसंबर से शुरू होगा ट्रायल

लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) जनपद के तिकुनिया इलाके में हुई हिंसा (Tikunia Violence) के मामले में मुख्य आरोपी और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा (Main Accused Ashish Mishra) की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस मामले में आशीष मिश्रा समेत 13 आरोपियों पर किसानों की हत्या का केस चलेगा।

16 दिसंबर को अभियोजन पक्ष पेश करेगा सबूत

एडीजे कोर्ट ने आशीष मिश्रा समेत अन्य आरोपियों पर आरोप तय कर दिए हैं। मिली जानकारी के अनुसार, 16 दिसंबर से मामले का ट्रायल शुरू होगा। 16 दिसंबर को अभियोजन पक्ष कोर्ट में सबूत पेश करेगा। इससे पहले सोमवार को कोर्ट ने आशीष मिश्रा समेत अन्य आरोपियों की खुद को बेगुनाह बताने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। साथ ही 6 दिसंबर को कोर्ट ने आरोप तय करने की तारीख मुकर्रर की थी।

जिला शासकीय अधिवक्ता अरविंद त्रिपाठी ने बताया कि जिन अभियुक्तों पर आरोप तय हुए उनमें आशीष मिश्रा के साथ-साथ अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, लतीफ काले, सत्यम उर्फ सत्य प्रकाश त्रिपाठी, शेखर भारती, सुमित जायसवाल, आशीष पांडे, लवकुश राणा, शिशुपाल, उल्लास कुमार उर्फ मोहित त्रिवेदी, रिंकू राणा, वीरेंद्र शुक्ला और धर्मेंद्र बंजारा शामिल हैं। जानकारी के अनुसार, वीरेंद्र शुक्ला पर भारतीय दंड विधान की धारा 201 के तहत आरोप तय किया गया है।

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वहीं, बाकी अभियुक्तों पर भारतीय दंड विधान की धारा 147, 148, 149, 302, 307, 326, 427 और 120 (ख) और मोटर वाहन अधिनियम की धारा 177 के तहत आरोप तय किए गए। इसके अलावा आशीष मिश्रा, अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, सत्य प्रकाश त्रिपाठी, लतीफ काले और सुमित जायसवाल के खिलाफ शस्त्र अधिनियम के तहत भी आरोप तय किए गए हैं। अदालत ने अभियोजन पक्ष से आगामी 16 दिसंबर को न्यायालय में सबूत पेश करने को कहा है।

गाड़ी से कुचलकर हुई थी किसानों की मौत

बता दें कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के विरोध में किसानों के प्रदर्शन के दौरान अक्टूबर 2021 में हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, घटना मेंचार किसानों की एक एसयूवी से कुचलकर मौत हो गई थी, जिसमें आशीष मिश्रा बैठे हुए थे। दुर्घटना के बाद गुस्से से भरे किसानों ने वाहन चालक और भाजपा के दो कार्यकर्ताओं की कथित रूप से पीट-पीट कर हत्या कर दी थी।

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कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों और विपक्षी दलों के प्रदर्शनों के बाद हुई हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हुई थी। हिंसा में मारे गए प्रदर्शनकारी केंद्र के उन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, जिन्हें बाद में सरकार ने वापस ले लिया था।

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