अगले साल 2019 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस से दिल्ली की सत्तारूढ़ पार्टी AAP गठबंधन कर सकती है. सियासी गलियारों में पिछले कुछ समय से ऐसी चर्चा लगातार चल रही है. AAP के करीबी सूत्रों की मानें, तो आने वाले दिनों में बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस और AAP एक साथ आ सकते हैं. ऐसा माना जाता है कि AAP और कांग्रेस का वोट बैंक लगभग एक है. ऐसे में बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी को हराने के लिए अगर दोनों पार्टियां साथ नहीं आएंगी तो संभावना है कि दोनों को ही नुकसान होगा और इस नुकसान में बीजेपी का फ़ायदा हो सकता है. यही वजह है कि दोनों ही पार्टियां गठबंधन कर सकती है.
सूत्रों के मुताबिक दोनों पार्टियों में चल रही बातचीत, दिल्ली–पंजाब में आमने–सामने थी AAP-कांग्रेस
AAP के सूत्रों के मुताबिक दोनों पार्टियों के बीच अलायंस को लेकर बातचीत चल रही है. लेकिन, अभी तक इस पर दोनों में से किसी भी पार्टी ने आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा है. कांग्रेस के साथ AAP के गठबंधन होने की चर्चा तब शुरू हुई, जब बीते हफ्ते AAP ने पहली बार बीजेपी के खिलाफ विपक्ष की मीटिंग में हिस्सा लिया और इसमें कांग्रेस भी शामिल हुई थी. वैसे अब तक पंजाब और दिल्ली के चुनाव में कांग्रेस व AAP एक दूसरे के आमने-सामने खड़ी हुई है. पिछले दिनों में एक रैली को संबोधित करते हुए AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ये तक कह दिया था कि अगर बीजेपी को हराना है, तो कांग्रेस को वोट करो. अब सत्ता के गलियारों में दोनों पार्टियों में गठबंधन होने की चर्चायें गरम है.
कांग्रेस से गठबंधन में AAP की हो सकती है आलोचना
अब यहां पर ये बात उठती है कि दिल्ली लोकसभा की 7 सीटें हैं और यहां AAP सत्ता में है. अगर AAP, कांग्रेस को गठबंधन के अंतर्गत सीटें देती है तो फिर पंजाब में भी AAP, कांग्रेस से सीटें मांगेगी वो इसलिए क्योंकि वहां कांग्रेस सत्ता में है. अब मुद्दा ये है कि शायद कांग्रेस को AAP की ये मांग मंजूर न हो. वैसे AAP का जन्म ही कांग्रेस विरोध को लेकर हुआ था. ऐसे में कांग्रेस से गठबंधन करने से AAP का नैतिक नुकसान होगा, साथ ही भारी आलोचना भी झेलनी पड़ सकती है. आपको बता दे कि कुछ महीनें पहले भी AAP और कांग्रेस के गठबंधन की चर्चा सुर्खियों में आई थी, लेकिन दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने इसका खंडन किया था. इस बात से AAP और कांग्रेस के बीच रिश्तों में दरारें आ गयी गई थी. ज्ञात हो कि अगस्त के महीने में दिल्ली के जंतर-मंतर पर राष्ट्रीय जनता दल ने एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया. इसमें कांग्रेस की तरफ से यह शर्त रख दी गई कि राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल के साथ मंच साझा नहीं करेंगे. इसी कारण से अरविंद केजरीवाल के भाषण देने के एक घंटे पश्चात् राहुल गांधी मंच पर आए थे.
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