लखनऊ के रहमानखेड़ा क्षेत्र में पिछले 90 दिनों से सक्रिय बाघ को वन विभाग की टीम ने आखिरकार पकड़ लिया। बाघ को जोन-2 में ट्रेंकुलाइज करने के बाद बेहोश कर लिया गया। वन विभाग की टीम ने बाघ को पकड़ने के लिए कई दिनों तक कड़ी घेराबंदी की थी।
ग्रामीणों में भय का माहौल
बाघ अब तक 25 जानवरों का शिकार कर चुका था, जिनमें सबसे हालिया शिकार बुधवार सुबह हुआ। इस बार बाघ ने गेहूं के खेत में एक गाय को मारा था, जिससे इलाके में डर और बढ़ गया। इससे पहले, सोमवार को बाघ ने एक पड़वा का शिकार किया था, लेकिन अंधेरे का फायदा उठाकर बाघ डॉक्टरों और टीम के सामने से शिकार लेकर भाग गया था।
Also Read – लखनऊ कोर्ट ने राहुल गांधी पर वीर सावरकर पर टिप्पणी करने के मामले में ठोका जुर्माना
AI तकनीक और विशेषज्ञों की मदद
बाघ की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए वन विभाग ने उच्च तकनीकी साधनों का इस्तेमाल किया। बेंगलुरु से विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम को बुलाकर बाघ के मूवमेंट को ट्रैक किया गया। इसके अलावा, AI कैमरों से निगरानी भी की गई, जिससे बाघ के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकी।
हथिनियों और ड्रोन की मदद से बाघ की तलाशी
बाघ को पकड़ने के अभियान में लखनऊ के डीएफओ सीतांशु पांडे ने पूरे इलाके में कड़ी निगरानी के निर्देश दिए थे। ड्रोन कैमरों और हाथियों की मदद से भी बाघ की तलाश की गई। इस अभियान में हाथिनी डायना और सुलोचना को भी शामिल किया गया, जिन्होंने बाघ के ट्रैकिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वन विभाग की सक्रियता
बाघ के बढ़ते हमलों से रहमानखेड़ा और आसपास के गांवों के लोग खासे डरे हुए थे। स्थानीय लोगों ने वन विभाग से बाघ को जल्द से जल्द पकड़ने की अपील की थी। कई ग्रामीणों ने बताया कि वे अब खेतों में काम करने से डरने लगे थे, और वन विभाग की टीम लगातार बाघ पर निगाह रखे हुए थी।