केंद्र की मोदी सरकार ने बुधवार को जेट ईंधन, एयर कंडीशनर और रेफ्रिजरेटर सहित कुल 19 वस्तुओं पर सीमा शुल्क बढ़ा दिया है। इस फैसले पर बताया गया कि गैर आवश्यक वस्तुओं का निर्यात घटाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। वित्त मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि बीते वित्त वर्ष में इन उत्पादों का कुल आयात बिल 86,000 करोड़ रूपए रहा था।
वित्त मंत्रालय ने दी जानकारी
जिन अन्य वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाया गया हैं उनमें वाशिंग मशीन, स्पीकर, रेडियल कार टायर, आभूषण उत्पाद, किचन और टेबलवेयर, कुछ प्लास्टिक का सामान तथा सूटकेस शामिल हैं। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार ने मूल सीमा शुल्क बढ़ाकर शुल्क उपाय किए हैं। इसके पीछे उद्देश्य कुछ आयातित वस्तुओं का आयात घटाना है। इन बदलावों से चालू खाते के घाटे को सीमित रखने में मदद मिलेगी। कुल मिलाकर 19 वस्तुओं पर आयात शुल्क घटाया गया है।
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ऐसे में एसी, रेफ्रिजरेटर और वाशिंग मशीन पर आयात शुल्क दोगुना कर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। आयात शुल्क में ये बदलाव 26-27 सितंबर की मध्यरात्रि से लागू होंगे। चालू खाते के घाटे पर अंकुश तथा पूंजी के बाह्य प्रवाह को रोकने के लिए ये उपाय किए गए हैं। विदेशी मुद्रा के अंत: प्रवाह और बाह्य प्रवाह का अंतर कैड कहलाता है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में कैड बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
प्लास्टिक के बने सामान हुए महंगे
सरकार ने इस आइटम पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 5 फीसदी से बढ़ाकर साढ़े सात फीसदी कर दिया है। पॉलिश्ड जेम स्टोन भी महंगे हो सकते हैं। इन पर भी कस्टम ड्यूटी 5 फीसदी से बढ़ाकर साढ़े सात फीसदी कर दिया गया है। प्लास्टिक के बने सामान भी महंगे हो गये हैं। इन पर कस्टम ड्यूटी 10 से बढ़ाकर 15 फीसदी हो गई है। सरकार के इस कदम से हवाई ईंधन भी महंगा हो गया है। हवाई ईंधन यानी कि एटीएफ पर 5 फीसदी बेसिक कस्टम ड्यूटी लगा दी गई है।
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