World Boxing Championship 2022: शॉर्ट्स पहनने पर रिश्तेदारों व मुस्लिमों ने मारे थे ताने, अब वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियन बनकर निकहत जरीन ने दिया जवाब

एक बार फिर से वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारत विजेता बन गया है. दरअसल, भारतीय महिला बॉक्सर निकहत जरीन ने गुरुवार को इतिहास रच दिया. उन्होंने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है. 52 किग्रा. कैटेगरी में निकहत ने थाईलैंड की जिटपॉन्ग जुटामस को 5-0 से करारी शिकस्त दी. जिसके बाद से सोशल मीडिया पर निकहत को बधाई देने वानों का तांता लग गया है. निकहत जरीन के लिए ये सफर बिल्कुल आसान नहीं था. क्योंकि निकहत एक मुस्लिम परिवार से आती हैं, इसलिए छोटे कपड़े पहनने को लेकर उन्हे काफी ताने सुनने पड़े थे. आईये आपको भी बताते हैं वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियन निकहत जरीन के अनसुने सफर के बारे में.

पिता ने किया सबसे ज्यादा सपोर्ट

जानकारी के मुताबिक, बेटी निकहत जरीन की इस सफलता से पिता सबसे ज्यादा खुश हैं. निकहत के लिए बॉक्सिंग में करियर चुनना आसान काम नहीं था क्योंकि बॉक्सिंग के दौरान छोटे कपड़े (शॉर्ट्स) पहने का सबसे पहले रिश्तेदारों व मुस्लिम धर्म से जुड़े लोगों ने विरोध किया लेकिन निकहत के माता-पिता ने इसकी परवाह नहीं की और बेटी को बॉक्सिंग के लिए प्रोत्साहित किया.

निकहत के पिता ने बताया कि, जब निखत ने हमें बॉक्सर बनने की अपनी इच्छा के बारे में बताया, तो हमारे मन में कोई झिझक नहीं थी. लेकिन कभी-कभी, रिश्तेदार या दोस्त हमें बताते हैं कि एक लड़की को ऐसा खेल नहीं खेलना चाहिए, जिसमें उसे शॉर्ट्स पहनना पड़े. निकहत जरीन के पिता भी पूर्व फुटबॉलर व क्रिकेटर रह चुके हैं. उन्होंने अपनी चारों बेटियों को करियर चुनने की आजादी दी

पिता जमील का कहना है कि मेरी बेटी भारतीय मुस्लिम लड़कियों के लिए एक मिसाल है. उन्होंने कहा कि विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतना मुस्लिम लड़कियों के साथ-साथ देश की हर लड़की को प्रेरणा देगी. निकहत के चाचा समसमुद्दीन के बेटे एतेशामुद्दीन और इतिशामुद्दीन ने भी करियर के लिए बॉक्सिंग को चुना है और बहन को अपनी प्रेरणा बताया है. वहीं निकहत की सबसे छोटी बहन बैडमिंटन में हाथ आजमा रही है.

बॉक्सिंग जैसे खेल के लिए बेटी की परवरिश करना आसान नहीं था. वह बताते हैं कि इस खेल में लड़कियों को शॉर्ट्स और ट्रेनिंग शर्ट पहनने की आवश्यकता होती है, लेकिन उनके परिवार के लिए यह आसान नहीं था. रिश्तेदार के साथ साथ कई धार्मिक रूढ़िवादिता वाले लोगों ने इसका विरोध किया.

एक साल बाहर रह कर भी नहीं टूटा मनोबल

बता दें कि, 14 साल की उम्र में निकहत जरीन जब वर्ल्ड यूथ बॉक्सिंग चैंपियन बनीं तो परिवार में खुशी की लहर छा गई थी. जिसके बाद साल 2017 में कंधे में चोट के कारण निकहत को करीब 1 साल रिंग से बाहर रहना पड़ा. अपने गोल्डन टाइम में निकहत के लिए यह समय गंवाना बहुत भारी पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेलों के लिए राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं मिली लेकिन असफलता के बाद भी पिता और परिवार का पूरा सहयोग मिलने से निकहत का मनोबल नहीं टूटा.

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