राफेल डील मामले की कानूनी लड़ाई में मोदी सरकार को बड़ी जीत हासिल हुई है. मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ लहजे में कह दिया कि राफेल सौदे की जांच नहीं होगी. इस फैसले को राहुल गाँधी की अगुवाई वाले विपक्ष की हार के तौर पर देखा जा रहा है.
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील मामले में दायर याचिका पर अपना फैसला सुना दिया है. इस मामले में याचिका दायर की गई ती कि 36 लड़ाकू राफेल विमानों की खरीद के लिए फ्रांस के साथ हुए सौदे में जो गबन हुआ इसकी जांच अदालत की निगरानी में की जाए और राफेल विमान सौदा भी रद्द किया जाए. इसी पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसफ की पीठ ने अपना फैसला सुना दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘राफेल की गुणवत्ता पर कोई सवाल नहीं है. उन्हें विमानों की खरीद के एनडीए सरकार के फैसले में कोई अनियमितता नहीं मिली. राफेल सौदे में उन्हें कोई संदेह नहीं है. विमान देश की जरूरत है और इसकी खरीद प्रक्रिया को लेकर हम संतुष्ट हैं. कोर्ट के लिए यह सही नहीं है कि वह एक अपीलीय प्राधिकारी बने और सभी पहलुओं की जांच करे.’ कोर्ट ने सौदे में कंपनी के फायदे के आरोपों पर कहा, ‘हमें कुछ भी ऐसा नहीं मिला जिससे लगे कि कोई कॉमर्शल पक्षपात हुआ हो.’ कोर्ट ने कहा, ‘हम सरकार को 126 विमान खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकते और कोर्ट द्वारा इस मामले के हर पहलु को जांच करना भी सही नहीं है. किमतों की तुलना करना कोर्ट का काम नहीं है.’
विपक्ष ने नरेंद्र मोदी सरकार को इस मामले में घेरने के लिए अदालत में ये याचिका दायर की थी. बता दें कि इस मामले में आरोप लगे हैं कि ये सौदा कंपनी का फायदा करने के लिए किया गया था और इस दौरान तय प्रक्रिया का भी उल्लंघन किया गया. उन्होंने इन आरोपों के बाद कहा था कि इस सौदे को रद्द किया जाए और इस मामले की जांच अदालत की निगरानी में की जाए.
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