15 अक्टूबर 2017 को गोवा से मुंबई जा रही तेजस एक्सप्रेस में यात्रियों को परोसे गए नाश्ते के बाद लगभग 26 यात्रियों की तबीयत बिगड़ गई। इनमें से तीन यात्रियों की हालत गंभीर थी, जिन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया था। ट्रेन को चिपलुन स्टेशन पर रोका गया, जहां बीमार यात्रियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
रेलवे की केटरिंग सेवाओं पर सवाल
बीमार यात्रियों ने बताया कि नाश्ता करने के बाद उन्हें उल्टी और घबराहट महसूस होने लगी। कुछ यात्रियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी शिकायतें दर्ज कराईं और रेलवे प्रशासन से तत्काल सहायता की मांग की।घटना के बाद, आईआरसीटीसी ने संबंधित केटरिंग मैनेजर और एक अधिकारी को निलंबित कर दिया। रेल मंत्रालय ने केटरिंग ठेकेदार को कारण बताओ नोटिस जारी किया और मामले की जांच के आदेश दिए। खाद्य पदार्थों के नमूने जांच के लिए लिए गए।
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यह पहली बार नहीं है जब तेजस एक्सप्रेस में खराब भोजन की शिकायतें आई हैं। जनवरी 2020 में, करमाली (गोवा) से मुंबई आ रही तेजस एक्सप्रेस में खराब खाना परोसे जाने के कारण 25 यात्रियों को फूड पॉइजनिंग की शिकायत हुई थी, जिसके बाद केटरिंग सेवा प्रदाता पर जुर्माना लगाया गया था।लगातार हो रही इन घटनाओं ने रेलवे की केटरिंग सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। यात्रियों का विश्वास बहाल करने के लिए आवश्यक है कि रेलवे अपनी केटरिंग सेवाओं में सुधार करे और खाद्य सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करे।
तेजस एक्सप्रेस जैसी प्रीमियम ट्रेनों में इस प्रकार की घटनाएं न केवल यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा हैं, बल्कि रेलवे की साख पर भी प्रश्नचिह्न लगाती हैं। आवश्यक है कि रेलवे प्रशासन इन घटनाओं से सीख लेकर भविष्य में ऐसी समस्याओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।
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